नमस्कार प्रिय पाठको rajasthangyan.in में आपका स्वागत है आज के इस पोस्ट में हम संत पीपा – राजस्थान के लोकसंत | Sant Pipa – Rajasthan ke Loksant बारे में अध्ययन करेंगे जो कि राजस्थान GK के आर्ट एंड कल्चर का टॉपिक है जिसके अंतर्गत हम राजस्थान के लोकसंतो के बारे में पढ़ रहे हैं अगर आपको हमारा प्रयास अच्छा लगे तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करें | और अपनी राय कमेंट द्वारा दे | धन्यवाद !
संत पीपाजी महाराज का जीवन परिचय
राजस्थान में भक्ति आंदोलन के जनक |
जन्म – सन् 1359 ई. चैत्र पूर्णिमा गागरोन दुर्ग में चैहानवंशी खीची परिवार में |
निर्वाण – सन् 1420 ई
निर्वाण स्थल – गागरोण
पिता – गागरोण के शासक कड़वा राम
माता – लक्ष्मी मती
बचपन का नाम – प्रताप सिंह
अन्य नाम – पीपा बैरागी
गुरु – रामानंद जी
मुख्य मंदिर या स्थल – समदड़ी बाड़मेर
मंदिर – समदड़ी बाड़मेर
गुफा – टोडा टोंक
पुस्तक – चिंतावानी जोग गुटका
छतरी – गागरोण झालावाड़ में है|
मेला – समदड़ी मंदिर में प्रत्येक पूर्णिमा को |
संत पीपा – राजस्थान के लोकसंत से सम्बंधित महत्व पूर्ण तथ्य
- पीपाजी पत्नी रानी सीता भी उनके के साथ राजसुख छोड़कर संत बने ।
- दर्जी संप्रदाय के लोगों के आराध्य देव संत पीपा है |
- संत पीपा प्रताप सिंह खींची के नाम से गागरोन झालावाड़ के शासक थे |
- इन्होंने फिरोजशाह तुगलक को पराजित किया था |
- उसके बाद यह राज्य छोड़कर भाई अचलदास खींची को राजा बनाया |
- इन्होंने निर्गुण भक्ति का संदेश दिया |
- संत पीपा जी ने मोक्ष का साधन भक्ति को बताया |
राजस्थान के अन्य लोकसंत भी पढ़े –
- जाम्भो जी राजस्थान लोकसंत | Jambho ji Rajasthan Loksant
- दादू दयाल 1544-1603
- संत लालदास जी राजस्थान के लोक संत | Sant Laldas Ji Rajasthan ke loksant
- संत पीपा – राजस्थान के लोकसंत | Sant Pipa – Rajasthan ke Loksant
ये भी पढ़ना पसंद करोगे :-
राजस्थान के साहित्य की प्रमुख रचनाएँ
संत पीपा जी की रचना गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित
गुरु नानक देव जी ने संत पीपा जी की रचना उनके पोते अनंतदास के पास से टोडा में ही प्राप्त की। इस बात का प्रमाण अनंतदास द्वारा लिखित ‘परचई’ के पच्चीसवें प्रसंग से भी मिलता है। इस रचना को बाद में गुरु अर्जुन देव जी ने गुरु ग्रंथ साहिब में जगह दी।
गुरु ग्रंथ साहिब लिखित दोहे है –
जो ब्रहमंडे सोई पिंडे जो खोजे सो पावै॥ – (गुरु ग्रंथ साहिब, पन्ना ६८५)
(जो प्रभु पूरे ब्रह्माँड में मौजूद है, वह मनुष्य के हृदय में भी विद्यमान है।)
पीपा प्रणवै परम ततु है, सतिगुरु होए लखावै॥२॥ – (गुरु ग्रंथ साहिब, पन्ना ६८५)
(पीपा परम तत्व की आराधना करता है, जिसके दर्शन पूर्ण सतिगुरु द्वारा किये जाते हैं।)
संत पीपाजी पैनोरमा, झालावाड़
2015-16 बजट में संत पीपाजी का पैनोरमा झालावाड़ जिले में बनाने की घोषणा सरकार द्वारा की गयी | संत पीपाजी पैनोरमा के लिए 298.62 लाख रूपये के बजट की घोषणा की गयी |
Other Topic Important Links
Science More Important Topics you can click here
Hindi More Important Topics you can read here
Rajasthan GK More Important Topics click here