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राजस्थान की लेखन शैलियां | Rajasthan ki lekhan shailiyaan

Rajasthan ki lekhan shailiyaan

नमस्कार प्रिय पाठको आज हम इस पोस्ट में पढ़ेंगे Rajasthaan ki lekhan shailiyaan | राजस्थान की लेखन शैलियां | राजस्थान साहित्य की विभिन्न लेखन शैलियों का वर्ण यहाँ किया गया है राजस्थान की प्रमुख साहित्य ग्रथों के लिए हम अलग से पोस्ट करेंगे |

Rajasthaan ki lekhan shailiyaan | राजस्थान की लेखन शैलियां

वचनिका :- यह एक गद्य-पद्य तुकान्त रचना होती है, इसे चम्पू काव्य भी कहते हैं।

वचनिका मुख्यतः अपभ्रंश मिश्रित राजस्थानी मं लिखी हुई है।

इसमें अचलदास खींची री वचनिका एवं राठौड़, रतनसिंह जी, महेश दासोत की वचनिका प्रमुख है।

वंशावली :- इसमें शासकों की वंशावलियों का विस्तत वर्णन है।

जैसे :- राठौड़ा की वंशावली, राजपूतों की वंशावली।

विगत :- ये इतिहास परक ग्रन्थ लेखन की शैली है।

मारवाड़ रा परगना री विगत इसकी प्रमुख रचना है।

वेलि :- इस साहित्य में शासकों की प्रमुख घटनाओं का वर्णन होता|

पृथ्वीराज राठौड़ द्वारा लिखित वेलि किसन रूक्मणी री प्रसिद्ध वेलि ग्रन्थ है।

वात :- वात का अर्थ कथा और साहित्य से है।

रूपक :- यह किसी महान योद्धा का चित्रण होता है।

रासों :- यह शासकों के प्रशंसा काव्य होते हैं।

बीसलदेव रासौ, पृथ्वीराज रासौ मुख्य रासौ ग्रन्थ हैं

निसाणी :- यह किसी व्यक्ति की यादगार के रूप में होता है

कत्ता :- इसमें राजकीय वर्णन होता है।

दवावैत :- यह उर्दू-फारसी की शब्दावली से युक्त राजस्थान की  कलात्मक लेखन शैली है।  इसमें किसी की प्रशंसा दोहों के रूप की जाती है।

ख्यात :- शासकों के मान मर्यादा वंशावली का वर्णन होता है। मुहणोत नैणसी री ख्यात, दयालदास री ख्यात आदि प्रसिद्ध ख्यात हैं

प्रकाश  :- किसी वंश अथवा व्यक्ति विशेष की उपब्धियां या घटना विशेष पर प्रकाश डालने वाली कृतिया प्रकाश कहलाती है।

मरस्या :- किसी वंश अथवा व्यक्ति विशेष को मत्योपरांत शोक व्यक्त करने के लिए रचित काव्य शैली है।

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FAQs

Question – वचनिका किसे कहते है ?

Answer – यह एक गद्य-पद्य तुकान्त रचना होती है, इसे चम्पू काव्य भी कहते हैं।

Question – विगत लेखन क्या होता है?

Answer – विगत इतिहास परक ग्रन्थ लेखन की शैली है। मारवाड़ रा परगना री विगत इसकी प्रमुख रचना है।

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