नमस्कार दोस्तों ! आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आये है विज्ञान का महत्वपूर्ण टॉपिक मानव में उत्सर्जन तंत्र | Excretion System in Humans.
मानव में उत्सर्जन तंत्र (Excretion System in Humans) के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी है | उत्सर्जन की परिभाषा (Definition of Excretion), मानव उत्सर्जन तंत्र का चित्र (Picture of Human Excretory System), मानव उत्सर्जन तंत्र की क्रियाविधि (Mechanism of Human Excretory System), मानव उत्सर्जन तंत्र की क्रियाविधि (Mechanism of Human Excretory System), मुत्र बनने का उद्देश्य (Purpose of Becoming a Urine), मुत्र किस प्रकार तैयार होता है, व वृक्काणु या नेफ्रॉन की संरचना (The Structure of the Nephron) आदि कक्षा 10 वी की परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण टॉपिक है |
यह टॉपिक कक्षा 10 वी साइंस की Bookका Chapter Number – 6 “जैव प्रक्रम” से लिया गया है |
उत्सर्जन की परिभाषा (Definition of Excretion)
वह जैव प्रक्रम जिसमें हानिकारक उपापचय वर्ज्य पदार्थों का निष्कासन होता है, उत्सर्जन तंत्र कहलाता है |
- एक कोशिकीय जीव अपशिष्ट पदार्थों को शरीर कि सतह से जल में विस्तृत कर देते हैं |
- बहुकोशिकीय जीव अपशिष्ट पदार्थों को निष्कासित करने के लिए विशिष्ट अंगों का उपयोग करते हैं |
मानव उत्सर्जन तंत्र का चित्र (Picture of Human Excretory System)
मानव उत्सर्जन तंत्र की क्रियाविधि (Mechanism of Human Excretory System)
- मानव के उत्सर्जन तंत्र में एक जोड़ा वृक्क, एक मुत्र वाहिनी , एक मुत्राशय तथा एक मूत्रमार्ग होता है |
- वृक्क उदर में रीड की हड्डी के दोनों ओर स्थित होते हैं |
- वृक्क में मुत्र बनने के बाद मूत्र वाहिनी में होता हुआ मूत्राशय में आ जाता है , तथा यहां तब तक एकत्रित रहता है जब तक मूत्र मार्ग से यह निकल नहीं जाता है |
मुत्र बनने का उद्देश्य (Purpose of Becoming a Urine)
Urine (मुत्र) बनाने का उद्देश्य रुधिर में से वर्ज्य (अपशिष्ट) पदार्थों को छानकर बाहर निकालना होता है |
मुत्र किस प्रकार तैयार होता है ?
- फुफ्फुस में कार्बन डाइऑक्साइड रुधिर से अलग हो जाती है, जबकि नाइट्रोजनी वर्ज्य पदार्थ जैसे यूरिया या यूरिक अम्ल वृक्क में रुधिर से अलग कर लिए जाते हैं |
- वृक्क बहुत पतली भित्ति वाली रुधिर कोशिकाओं का गुच्छ होता है |
- वृक्क में प्रत्येक कोशिका गुच्छ, एक नलिका के कप के आकार के सीरे के अंदर होता है |
- यह नलिका छने हुए मुत्र को एकत्रित करती है |
- प्रत्येक वृक्क में ऐसे अनेक निस्यंदन एकक होते हैं, जिन्हें वृक्काणु या नेफ्रॉन कहते हैं |
वृक्काणु या नेफ्रॉन की संरचना (The Structure of the Nephron)
- वृक्काणु अथवा नेफ्रॉन आपस में निकटता से पैक रहती है |
- प्रारंभिक निस्यंद में कुछ पदार्थ जैसे ग्लूकोज , अमीनो अम्ल , लवण और प्रचुर मात्रा में जल रह जाते हैं |
- जैसे – जैसे मुत्र इस नलिका में प्रवाहित होता है | इन पदार्थों का चयनित पुनरवशोषण हो जाता है |
- जल की मात्रा पुनरवशोषण, शरीर में उपलब्ध अतिरिक्त जल की मात्रा पर तथा कितना विलय अपशिष्ट उत्सर्जित करना है, पर निर्भर करता है |
- प्रत्येक वृक्क में बनने वाला मूत्र एक लंबी नलिका मूत्र वाहिनी में प्रवेश करता है, जो वृक्क को मूत्राशय से जोड़ती है | मूत्राशय में मूत्र भंडारित रहता है, जब तक कि फैले हुए मूत्राशय का दाब मूत्र मार्ग द्वारा उसे बाहर निकाल दे |
- मूत्राशय पेशीय होता है| अतः यह तंत्रिका नियंत्रण में भी सहायक होता है |
FAQs
Question 1. उत्सर्जन तंत्र किसे कहते हैं ?
Answer – वह जैव प्रक्रम जिसमें हानिकारक उपापचय वर्ज्य पदार्थों का निष्कासन होता है, उत्सर्जन तंत्र कहलाता है |
Question 2. वृक्काणु या नेफ्रॉन किसे कहते हैं ?
Answer – प्रत्येक वृक्क में ऐसे अनेक निस्यंदन एकक होते हैं, जिन्हें वृक्काणु या नेफ्रॉन कहते हैं |
Question 3. मूत्राशय का क्या कार्य होता है ?
Answer – मूत्राशय का कार्य मूत्र भंडारित करना होता है, जब तक कि फैले हुए मूत्राशय का दाब मूत्र मार्ग द्वारा उसे बाहर निकाल दे |
Question 4. मूत्र का निर्माण क्यों होता है ?
Answer – मुत्र बनाने का उद्देश्य रुधिर में से वर्ज्य (अपशिष्ट) पदार्थों को छानकर बाहर निकालना होता है |
उपरोक्त पोस्ट में मानव में उत्सर्जन तंत्र | Excretion System in Humans के बारे में विस्तृत जानकारी दी हुई है | इसके अतिरिक्त अगर आप विज्ञान के और भी अध्यायों का अध्यन करना चाहे तो आप हमारी वेबसाइट पर कर सकते है | कुछ महत्वपूर्ण लिंक निचे दिए है |
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