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हरिदास जी राजस्थान के लोकसंत | Haridas ji Rajasthan ke Loksant
मूल नाम – हरि सिंह सांखला
जन्म – कपड़ोद डिडवाना के निकट नागौर
मुख्य केंद्र – गाढा बास, डीडवाना नागौर ( यहाँ हरिदास जी निरंजनी ने समाधि ली थी )
मेला – प्रतिवर्ष फाल्गुन शुक्ल एकम् से फाल्गुन शुक्ल द्वादशी तक
उपाधि – हरिदास जी को ‘कलियुग ‘का वाल्मिकी’ कहा जाता है |
हरिदास जी पहले डाकू थे तत्पश्चात सन्यासी बन गए |
इन्होंने सगुण और निर्गुण भक्ति ओं का संदेश दिया था |
हरिदास जी निरंजनी संप्रदाय के प्रवर्तक हैं |
हरिदास जी द्वारा रचित पुस्तकें या ग्रंथ –
मंत्रराज प्रकाश
हरिपुर जी की वाणी
हरि पुरुष जी के गुदड़ी
भक्त विरदावली
भरथरी संवाद साखी
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