जाम्भो जी राजस्थान लोकसंत | Jambho ji Rajasthan Loksant
नमस्कार प्रिय दोस्तों आपकी इस पोस्ट में हम जाम्भो जी राजस्थान के लोकसंत | Jambho ji Rajasthan Loksant राजस्थान के प्रमुख लोकसंत विषय से संबंधित जाम्भो जी के बारे में जानेंगे इस पोस्ट में हम जाम्भो जी की जीवनी , उनकी प्रमुख रचनाएं एवं बिश्नोई धर्म के महत्वपूर्ण प्रश्नों का अध्ययन करेंगे |
जाम्भो जी का जीवन परिचय | Jambho ji introduction
जाम्भोजी का जन्म एक हिन्दू पंवार वंशीय राजपूत परिवार में हुआ |
जन्म – जाम्भोजी जी का जन्म सन् 1451में पीपासर नागौर में हुआ |
मृत्यु – जाम्भो जी ने 1526 ईं.में त्रयोदशी के दिन मुकाम (बीकानेर ) में समाधि ली थी ।
इसीलिए मुकाम को मुक्तिधाम मुकाम के नाम से भी जाना जाता है
मुक्तिधाम मुकाम बीकानेर जिले की नोखा तहसील में है ।
माता का नाम – हंसा कंवर (केसर) |
पिता का नाम – लोहट जी पंवार |
गुरू – जाम्भो जी के गुरू का नाम गोरखनाथ था ।
जाम्भो जी का बचपन का नाम धनराज था
बिश्नोई पंथ – सन् 1485 में 34 वर्ष की अवस्था में बीकानेर के समराथल धोरे पर बिश्नोई पंथ की स्थापना की थी |
समाधी स्थल – मुकाम/तलवा (नोखा बीकानेर) |
प्रधान पीठ – मुकाम/तलवा (नोखा बीकानेर) |
मेला – आश्विन अमावस्या और फाल्गुन अमावस्या को |
अन्य स्थल – समराथल जहां बिश्नोई पंथ की स्थापना की थी | , जाम्भा (जोधपुर), रामडासर (जोधपुर) |
रचना – जम्भवाणी , जम्भसागर , बिश्नोई धर्म प्रकाश शब्दवाणी |
बिश्नोई धर्म व गुरु जांभेश्वर जी से सम्बंधित महवपूर्ण तथ्य
- जाम्भो जी ने वैष्णव जैन व मुस्लिम धर्म की अच्छी बातों को मिलाकर बिश्नोई पंथ की स्थापना की |
- समराथल (बीकानेर) नामक स्थान पर अपने अनुयायियों को उन्नतीस (20 + 9 ) नियम दिए थे 29 यानि बीस और नो इसीलिए उनके अनुयायियों को बिश्नोई कहा जाता है|
- ये नियम जाम्भो जी की रचना जम्भसागर में लिखित है |
- प्रकृति प्रेमी होने के कारण इन्हे वैज्ञानिक संत महा –
- बिश्नोई पंथ के लोग जाम्भो जी को विष्णु का अवतार विशन कहकर सम्बोधित करते है |
- बिश्नोई पंथ आराध्य विष्णु जी है |
- साथरी – जाम्भो जी ने जहां-जहां उपदेश दिए वे स्थल साथरी कहलाते है |
- बिश्नोई पंथ के लोग अंतिम संस्कार में शव को दफ़न करते है |
- जाम्भो जी के कहने पर ही सिकंदर लोदी ने अकाल के दौरान बीकानेर के लिए चारा भेजा था |
- जोधपुर के राव जोधा व बीकानेर के राव बिका भी जाम्भो जी का आदर पूर्वक सम्मान करते थे.|
श्री गुरु जम्बेश्वर जी द्वारा बताये गए 29 नियम | 29 rules given by Shri Guru Jambeshwar Ji
- हरे पेड़ पौधों को नहीं काटा जाना चाहिए |
नोट :-
- जांभोजी के बताए गए 29 नियमों में वर्णित एक नियम “हरे पेड़ पौधों को नहीं काटा जाना चाहिए ” का अनुसरण करते हुए ही खेजड़ली में आंदोलन हुआ था |
- सन 1730 में खेजड़ली गांव में खेजड़ी को बचाने के लिए अमृता देवी बिश्नोई व उनके पति रामोजी वह उनकी तीन बेटियों सहित कुल 363 बिश्नोई समाज के लोगों ने बलिदान दिया था। अमृता देवी ने कहा था कि ” सिर साटे रुख रहे तो भी सस्ता जान” और उन्होंने पेड़ों की रक्षा के लिए अपना बलिदान दे दिया |
- जीवों के प्रति दया का भाव रखना।
- प्रतिदिन प्रात:काल स्नान करना।
- 30 दिन जनन – सूतक मानना।
- दिन रजस्वता स्री को गृह कार्यों से मुक्त रखना।
- शील का पालन करना।
- काम, क्रोध, मोह एवं लोभ का नाश करना।
- रसोई अपने हाध से बनाना।
- परोपकारी पशुओं की रक्षा करना।
- अमल का सेवन नही करना।
- तम्बाकू का सेवन नही करना।
- भांग का सेवन नही करना।
- शराब का सेवन नही करना।
- बैल को बधिया नहीं करवाना।
- नील का त्याग करना।
- संतोष का धारण करना।
- बाहरी एवं आन्तरिक शुद्धता एवं पवित्रता को बनाये रखना।
- तीन समय संध्या उपासना करना।
- संध्या के समय आरती करना एवं ईश्वर के गुणों के बारे में चिंतन करना।
- निष्ठा एवं प्रेमपूर्वक हवन करना।
- पानी, ईंधन व दूध को छान-बीन कर प्रयोग में लेना।
- वाणी का संयम करना।
- दया एवं क्षमा को धारण करना।
- चोरी नही करनी।
- निंदा नही करनी।
- झूठ नही बोलना।
- वाद – विवाद का त्याग करना।
- अमावश्या के दिन व्रत करना।
- विष्णु का भजन करना।
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