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राजस्थान के प्रमुख महल Rajasthan ke Pramukh Mahal
राजस्थान के प्रमुख महलों की ट्रिक्स जानने के लिए पोस्ट को अनंत तक पढ़े |
बीकानेर के महल
अनूप महल –
- अनूप महल बीकानेर के जूनागढ़ किले में स्थित है।
- इस महल का निर्माण अनूप सिंह ने करवाया यहां बीकानेर के राजाओं का राजतिलक होता था ।
- यह स्थान यहाँ के राजाओं का “दीवान–ए–आम” है। इसी स्थान पर राजाओं के मुख्य निर्णय किये जाते थे ।
लालगढ़ महल –
- बीकानेर लालगढ़ महल यूरोपीय शैली में बना हुआ है। महाराजा गंगा सिंह ने अपने पिता लाल सिंह की स्मृति में लाल बलुआ पत्थरों से बनवाया।
- इसमें अनूप संस्कृत लाइब्रेरी और सार्दुल संग्रहालय प्रमुख है।
- लक्ष्मी निवास पैलेस लालगढ़ महल का एक हिस्सा है, जिसका निर्माण 1902 में पूरा हुआ था।
- लॉर्ड कर्जन महल का पहला उल्लेखनीय अतिथि था।
- लालगढ़ महल की वास्तुकला शैली – उस्ता कला और मुगल वास्तुकला है और यह भारतीय, यूरोपीय और मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है।
- लालगढ़ महल का वास्तुकार ब्रिटिश वास्तुकार सैमुअल स्विंटन जैकब था।
- लालगढ़ महल के भोजन कक्ष में एक ही समय में लगभग 400 से अधिक लोग खाना खाने के लिए बैठ सकते हैं।
- बीकानेर शहर इस महल से केवल 3 किलोमीटर दूर है।
लक्ष्मी निवास महल
- बीकानेर ज़िले के महाराजा गंगासिंह का महल था।
- इसे 1896 में भारत-अरबी शैली में ब्रिटिश वास्तुकार सैम्युल स्विंटन जैकब ने इसका डिजाइन किया था।
- लक्ष्मी निवास महल 1902 में बनकर तैयार हुआ था।
- वर्तमान में यह हैरिटेज होटल गोल्डन ट्रांईगल फोर्ट एण्ड पैलेस प्रा.लिमिटेड द्वारा संचालित है।
गजनेर महल / गजनेर झील –
- 1784 में बीकानेर के महाराजा गज सिंह (1746-1787) ने गजनेर पैलेस की स्थापना की थी ।
- गज सिंह द्वारा अकाल राहत कार्य के रूप में गजनेर महल और गजनेर झील का निर्माण करवाया था ।
- और बाद में महाराज गंगा सिंह (1888-1943) ने इसे पूरा किया।
- वर्ष 1976 में, गजनेर पैलेस हेरिटेज होटल में परिवर्तित कर दिया गया था।
- हेरिटेज होटल का वर्तमान मालिक एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स है।
- यह शाही परिवार के लिए शिकारगाह और आरामगाह था।
- यह तीतरो के लिए प्रसिद्ध पर्यटक स्थल के रूप में भी विख्यात है
करण महल
- करण महल अनूप सिंह (1669–98) ने अपने पिता की स्मृति में बनवाया ।
- करण महल जूनागढ़ फोर्ट बीकानेर में स्थित है |
गंगा निवास –
- पत्थर पर कोराई के कार्य के लिए प्रसिद्ध गंगा सिंह द्वारा निर्मित ।
- गंगा महल को हेरिटेज होटल में परिवर्तित कर दिया गया है।
बादल महल, बीकानेर
- जूनागढ़ दुर्ग में स्थित है यह बादल महल सोने की नक्कासी के लिए प्रसिद्ध है
जैसलमेर के महल
बादल महल जैसलमेर
- यह महल जैसलमेर की महारावलों के निवास हेतु बने बादल विलास शिल्प कला का बेजोड़ नमूना है।
- बादल महल का निर्माण 1884 में सिलावटों द्वारा किया गया जिन्होंने तत्कालीन महारावल वैरिशाल सिंह को भेंट कर दिया।
- बादल विलास में बना पांच मंजिला ताजिया टावर दर्शनीय है।
- यह सोनारगढ़ दुर्ग के पश्चिमी द्वार के पास स्थित है।
- राजस्थान का सबसे बड़ा व ऊंचा बादल महल है।
जैसलमेर के अन्य महल
सर्वोत्तम विलास / शीश महल – जैसलमेर दुर्ग मे महाराजा अख्खे सिंह द्वारा निर्मित
रंग महल और मोती महल – मूलराज द्वितीय द्वारा निर्मित
गज विलास और जवाहर विलास – पत्थर की कटाई और जालियों के लिए प्रसिद्ध है
सिरोही के महल
ओखा रानी का महल , अचलगढ़ – कुंभा द्वारा निर्मित है
स्वरूप निवास / केसर निवास – स्वरूप सिंह एवं केसरी सिंह द्वारा निर्मित
उदयपुर के महल
राजमहल –
- पिछोला झील के टापू पर उदय सिंह द्वारा निर्मित फर्ग्यूसन ने इसे राजस्थान का विंडसर महल कहा था।
- इस महल का निर्माण महाराजा उदयसिंह ने अतिथियों की सेवा के लिए करवाया।
- राज महल पिछोला झील के तट पर स्थित है।
- महल में प्रताप संग्रहालय है।
- राजमहल में मयूर चौक पर बने 5 मयूरों का सौंदर्य अनूठा है।
- राज महल के अंदर ही महाराणा प्रताप का वह ऐतिहासिक भाला रखा गया जिससे हल्दीघाटी के युद्ध में आमेर के मानसिंह पर प्रताप ने वार किया था।
- जगतसिंह प्रथम ने राजमहल में ” चितेरों की ओवरी ” नामक कला विद्यालय स्थापित किया था।
जग मंदिर
- पिछोला झील में टापू पर महाराणा कर्णसिंह ने 1622 ई. में जग मंदिर का शुरू निर्माण करवाया था ।
- महाराणा जगतसिंह प्रथम ने इसमें कुछ अतिरिक्त निर्माण करवाया और इसका नाम बदलकर जगमंदिर रखा।
- जगमंदिर में गुंबदाकार छत वाला महल है, जिसे गोल महल कहते हैं।
- इसी जग मंदिर में जहांगीर के पुत्र खुर्रम को तत्कालीन महाराणा ने ठहरने के लिए स्थान दिया था, जो बाद में शाहजहां बना।
- यहीं से शाहजहां को ताजमहल बनाने की प्रेरणा मिली।
जग निवास
- पिछोला झील के टापू पर यह महल 1746 ई. में महाराणा जगतसिंह द्वितीय ने बनवाया ।
- जग निवास में ख़ास महल, बड़ा महल, दिलाराम, सज्जन निवास और चंद्रप्रकाश विशेष रुप से दर्शनीय हैं।
- जब जेम्स बॉन्ड की फिल्म ‘ऑक्टोपसी‘ को जग निवास में फिल्माया गया था।
- वर्तमान में यहाँ पर ताज लेक प्लेस होटल है |
सज्जन महल / मानसून पैलेस –
- सज्जनगढ़ पैलेस का निर्माण भी महाराणा सज्जन सिंह ने 1881 ईस्वी में करवाया था।
- सज्जनगढ़ मॉनसून पैलेस के नाम से भी प्रसिद्ध है।
- इस महल को महाराणा सज्जन सिंह ने अपनी शिकारगाह के रूप में बनवाया था।
- सज्जन महल एक प्रसिद्ध सन-सैट पॉइंट है।
मोती महल
- इसमें महाराणा प्रताप का स्मारक बना हुआ है।
- मोती महल अब होटल मोती महल बन गया है ।
कृष्णा विलास महल
- कृष्णा महल अब सिटी पैलेस, उदयपुर में राजकुमारी कृष्णा कुमारी का स्मारक है।
- जहां राजकुमारी कृष्णा ने जहर पीकर आत्मबलिदान दे कर उदयपुर को युद्ध से बचा लिया था ।
हाड़ा रानी का महल
- हाड़ा रानी का महल सलूम्बर उदयपुर में स्थित है ।
- सलूम्बर से रावत रतनसिंह चूंडावत सरदार था उनकी पत्नी थी हाड़ी रानी जिनका दूसरा नाम सलेह कंवर था।
- उनके लिए ये पंक्तियाँ प्रसिद्ध थी – ‘‘चूण्डावत मांगी सैनाणी, सिर काट दे दियो क्षत्राणी।’’
- हाड़ा रानी की पूरी स्टोरी यहाँ सुन सकते है Watch Video Here
- हाड़ी रानी की गौरव गाथा यहाँ क्लिक करके पढ़ें
खुश महल उदयपुर
- करण सिंह दिल कुश महल का निर्माण विशेष रूप से शाही महिलाओं के लिए किया गया था।
- इस महल से पिछोला झील देखी जा सकती है।
नवलखा महल
- नवलखा महल गुलाब बाग, उदयपुर में स्थित है।
- जो मूल रूप से 19वीं शताब्दी में उदयपुर के ऐतिहासिक शहर में स्थापित किया गया था।
- यह आर्य समाज के अनुयायियों का तीर्थस्थल है।
- श्रीमद दयानंद सत्यार्थ प्रकाश न्यास ने इसका जीर्णोद्धार करवाया।
- यहाँ स्वामी दयानंद सरस्वती के लेखन कक्ष में एक 14-कोण और 14-कहानी वाला सत्यार्थ प्रकाश स्तम्भ ’या टॉवर भी स्थापित है।
- नोट – नवलखा झील बूंदी में है ,नवलखा बुर्ज चित्तौड़गढ़ में ,नवलखा बावड़ी डूंगरपुर में व नवलखा दरवाजा रणथंबोर दुर्ग में है।
धौला महल – धौला सिंह द्वारा निर्मित
चित्तौड़गढ़ के महल
- कुंभा महल – महाराणा कुंभा द्वारा निर्मित, चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है ।
- गोरा एवं बादल महल – रतन सिंह द्वारा निर्मित, चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है
- पद्मिनी महल – चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है ।
- फतेह प्रकाश महल – राजपूत वास्तु शैली में यह महल, महाराणा फतेह सिंह द्वारा उनके निवास स्थान के रूप में बनाया गया था। इसके चारों कोनों पर गुंबददार छतरियों का ताज है। वर्ष 1968 के दौरान फतेह प्रकाश महल के एक बड़े हिस्से को सार्वजनिक संग्रहालय में बदल दिया गया था।
- बनवीर महल – चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित है ।
नोट – मीरा मंदिर – रैदास जी की छतरी चित्तौड़गढ़ दुर्ग में मीरा मंदिर के पास बनी हुई है
भीलवाड़ा के महल
बनेड़ा महल – सरदार सिंह द्वारा निर्मित
अजमेर के महल
- मान महल – आमेर के राजा मानसिंह द्वारा निर्मित वर्तमान में यहाँ RTDC के होटल सरोवर के रूप में संचालित है ।
- राजपूताना म्यूजियम – मैगजीन किले में ,1908 में राजपूताना के गर्वनर जनरल के एजेन्ट सर इलियट ग्राहम कोल्विन द्वारा इसका उद्घाटन किया गया।
- जहाँगीर के महल पुष्कर, अजमेर – इस महल का निर्माण मुगल बादशाह जहाँगीर द्वारा करवाया गया।
- पृथ्वीराज स्मारक – बारहवीं शताब्दी में चौहान वंश के अन्तिम शासक बहादुर राजपूत ,सेना प्रमुख पृथ्वीराज चौहान तृतीय की स्मृति तथा सम्मान में बनवाया गया ’स्मृति स्मारक’ है।
नागौर के महल
बादल महल और हवा महल –
- नागौर किले के में स्थित बादल महल और हवा महल भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध बख्त सिंह के समय निर्मित है ।
- नागौर किले के भीतर बादल-महल और हवामहल इन दो महलों में भित्तिचित्र अंकित हैं।
- नागौर का बादल-महल, जिसे अमर सिंह राठौड़ का महल भी कहते हैं।
- नागौर के बादल-महल में पैदल, घुड़सवारों व हाथियों पर सवार लोगों का सैनिक साज-सज्जा के परिवेश में चित्रण किया गया है।
- नागौर किले में हवा महल की छत पर 18वीं शताब्दी की राजपूत-शैली की सजावट, एक गोलाकार डिजाइन में पंखों वाली आकृतियों के साथ चित्रित की गई है।
- नागौर दुर्ग में स्थित यह महल कलात्मक बादल महल कहलाता है।
- हवा महल के भित्ति चित्रों में नारी चित्रों की प्रधानता है।
- मीरा बाई का महल – मेड़ता,नागौर
जोधपुर के महल
उमेद पैलेस / छीतर पैलेस
- उमेद सिंह द्वारा निर्मित छीतर पत्थर से बना हुआ है।
- इसका निर्माण उम्मेदसिंह ने 1929 ई. अकाल राहत के तहत करवाया।
- यह राजस्थान का सबसे बड़ा लिविंग पैलेस या रिहायसी महल है।
- छीतर पत्थर से बनने के कारण उम्मेद भवन को छीतर प्लेस भी कहा जाता है।
- उम्मेद भवन यूनानी/इटैलिक व गोथिक शैली में बना हुआ है।
- फुल महल – अभय सिंह द्वारा निर्मित
- मोती महल मेहरानगढ़ – सूर सिंह द्वारा निर्मित
- सूर्य महल – सूर सिंह द्वारा निर्मित
- फतेह महल – अजीत सिंह द्वारा निर्मित
- राइका बाग पैलेस – जसवंत सिंह की हाड़ी रानी द्वारा निर्मित। इसमें दयानंद सरस्वती ने उपदेश दिया था।
चौखा लाव महल –
- यह महल मारवाड़ चित्र शैली एवं जन जीवन के चित्रों की अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध है जो जोधपुर के किले में है।
- अठाहरवीं शताब्दी के पुराने मारवाड़ के बाग़ बगीचों जैसे इस बाग़ को मेहरानगढ़ म्यूज़ियम ट्रस्ट द्वारा एक बोटैनिकल म्यूज़ियम के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है।
- बुलानी महल – यहाँ वर्तमान में अस्पताल संचालित है।
- सूरसागर महल – सूरसागर तालाब के तट पर महाराजा शूर सिंह द्वारा बनाए गए दो महल जनाना महल मर्दाना महल स्थित है।
- एक थंबा महल या बीजोलाई के महल – मंडोर जोधपुर में कायलाना की पहाड़ियों के बीच बने महल का निर्माण तक सिंह द्वारा करवाया गया। महाराजा विजय सिंह के समय यह महल बिजोलाई के महल कहलाते हैं।
जसवंत थड़ा
- जसवंत थड़ा 1906 में जसवंत सिंह की स्मृति में उनके बेटे महाराजा सरदार सिंह द्वारा बनवाया था ।
- सफ़ेद संगमरमर से बना एक स्मारक है।
- जो जोधपुर के मेहरानगढ़ दुर्ग के पास स्थित है।
- जसवंत थड़ा मारवाड़ शाही परिवार के लिए श्मशान घाट के रूप में उपयोग किया जाता था ।
- जसवंत थड़ा को मारवाड़ का ताजमहल भी कहा जाता है या राजस्थान का ताजमहल भी कहा जाता है।
तलहटी महल
- जोधपुर के तलहटी के महलों का निर्माण महाराजा सूरसिंह ने अपनी रानी सौभाग्य कंवर के लिए सन 1615 में करवाया था।
- इन महलों का कार्य अधूरा रहने पर राजा गजसिंह प्रथम ने सन 1631 में पूरा करवाया ।
- राजपरिवार की रानियों को महल में लाने के लिए किले के रानीसर तालाब से महलों के अन्दर तक सुरंग भी बनाई गई थी ।
- 24 नवम्बर 1896 को इन महलों में जसवंत फिमेल अस्पताल खोला गया।
- 1912 में अंग्रेज अधिकारी ह्यूसन के नाम पर एक स्कूल खोला गया।
एक थम्बा महल
- महाराजा अजीत सिंह ने एक थम्बा महल का निर्माण 1775 ईस्वी में करवाया था|
- एक थम्बा महल को प्रहरी मीनार के नाम से भी जाना जाता है|
- यह महल जोधपुर के मंडौर में स्थित तीन मंजिला भवन है|
- एक थम्बा लाल व बलुआ पत्थरों से निर्मित है।
जोधपुर के अन्य महत्वपूर्ण महल
तख्त विलास,रंग महल,बिचला महल,जनाना महल,दौलत महल, तख्तविलास , आदि है।
नोट – “राजस्थान का ताजमहल” जसवंत थड़ा जोधपुर है जसवंत थड़ा का निर्माण महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय के पुत्र सरदार सिंह ने 1906 में करवाया था।
जयपुर के महल
हवा महल –
- हवामहल का निर्माण कछवाहा राजपूत शासक सवाई प्रताप सिंह द्वारा 1799 ईस्वी में करवाया गया था।
- यह एक 5 मंजिल की इमारत है।
- हवामहल की ऊंचाई 88 फीट है।
- इसमें 953 खिड़कियां जाली झरोखे हैं।
- हवामहल श्री कृष्ण के मुकुट के रूप में बनाया गया था। क्योकि सवाई प्रताप सिंह भगवान कृष्ण के प्रति समर्पित थे।
- इसका डिज़ाइन वास्तुकार लालचंद उस्ता द्वारा तैयार किया गया था। ।
- हवा महल का निर्माण बलुआ पत्थर और चूने से किया गया।
- हवामहल की पहली मंजिल शरद मंदिर, दूसरी मंजिल रत्न मंदिर , तीसरी मंजिल विचित्र मंदिर, चौथी मंजिल प्रकाश मंदिर तथा पांचवी मंजिल हवा मंदिर के नाम से जनि जाती है।
- हवामहल को वर्तमान में राजकीय संग्राहलय के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है ।
- राजकीय संग्राहलय का आंतरिक प्रवेश द्वार आनंदपोल के नाम से जाना जाता है।
- हवामहल में पहले चौक से दूसरे चौक पर जाने पर चंद्रपॉल दरवाजा आता है।
- नोट / अतिरिक्त जानकारी – राजस्थान का दूसरा हवामहल झुंझुनू महल को खिड़कियों झरोखों से सुसज्जित होने के कारण कहा जाता है।
सिटी पैलेस
- सिटी पैलेस का निर्माण 1729 से 1732 ई. के मध्य महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने कराया था।
- जयपुर के सिटी पैलेस में विश्व का सबसे बड़ा चांदी का बरतन स्थित है तथा बारीक काम सुई से बना चित्र विश्व प्रसिद्ध है।
- सिटी पैलेस के प्रवेश के लिए सात द्वार बनाए हुए है , जिनमे सबसे प्रमुख द्वार उदयपोल है।
- उदयपोल सन 1900 में महाराजा सवाईमाधो सिंह द्वितीय द्वारा बनवाया गया था।
- सिटी पैलेस मुगल और राजपूत वास्तुकला का एक सुंदर मिश्रण है।
- चंद्रमहल जयपुर राज परिवार का निवास स्थान था, अभी भी अंतिम शासक शाही परिवार का घर है जो महल के एक निजी हिस्से में रहता है।
- सिटी पैलेस परिसर में चंद्र महल,मुबारक महल (स्वागत का महल), महारानी का महल (रानी का महल) सिलहखाना , दीवाने आम, दीवाने खास और पोथी खाना विशेष प्रशिद्ध हैं।
- दीवाने आम में महाराजा का निजी पुस्तकालय पोथीखाना व शास्त्रागार है।
- मुबारक महल में अब महाराजा सवाई मान सिंह II संग्रहालय है जहाँ शाही परिधानों, नाजुक पश्मीना (कश्मीरी) शॉल, बनारस रेशम साड़ियों, और सांगानेरी प्रिंट और लोक कढ़ाई के साथ अन्य कपड़े का एक विशाल और अनूठा संग्रह प्रदर्शित करता है।
- महाराजा सवाई माधोसिंह प्रथम के वस्त्र भी प्रदर्शित हैं।
- महारानी के महल में संरक्षित राजपूत हथियारों का प्रदर्शन किया गया है।
जंतर मंतर , वैद्यशाला –
- जयपुर का जन्तर मन्तर सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1724 में अपनी निजी देखरेख में शुरू करवाया था, जो सन 1734 में पूरा हुआ था।
- जयपुर का जन्तर मन्तर एक खगोलीय वेधशाला है।
- यूनेस्को ने 1 अगस्त 2010 को जंतर-मंतर को “विश्व धरोहर सूची ” में शामिल करने की जो घोषणा की थी।
- ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी के 34 वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मलेन में इस वेधशाला को विश्व-विरासत स्मारक श्रेणी में शामिल किया गया था ।
- यहां के यंत्रों में- ‘सम्राट-यन्त्र‘ सूर्यघड़ी , ‘जयप्रकाश-यन्त्र‘ और ‘राम-यन्त्र‘ सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं, जिनमें से ‘सम्राट-यन्त्र‘ सर्वाधिक ऊंचा करीब 90 फुट है, जिसके माध्यम से पर्याप्त शुद्धता से समय बताया जा सकता है।
- जयपुर की वेधशाला में उपस्थित यंत्रों के द्वारा की गई गणनाओं के आधार पर आज भी यहां का पंचांग तैयार किया जाता है।
नाहरगढ़ के नौ महल
- नाहरगढ़ दुर्ग में स्थित इन महलों का निर्माण महाराजा माधो सिंह द्वितीय ने अपनी 9 रानियों (अपनी 9 प्रेमिकाओं ) के नाम पर करवाया।
- नाहरगढ़ के महलों के नाम इस प्रकार हैं : – सूरजप्रकाश,खुशप्रकाश, ज्वारप्रकाश , ललितप्रकाश, लक्ष्मीप्रकाश, आनंदप्रकाश, चंद्रप्रकाश, रतनप्रकाश, वसंतप्रकाश है।
- ये सभी महल एक जैसे हैं, इन्हें “विक्टोरियन शैली” में बनवाया गया है।
- नोट – नाहरगढ़ को 7 अन्य नाम सुलक्षण दुर्ग, सुदर्शन गढ़, टाइगर किला, जयपुर ध्वजगढ़, जयपुर का मुकुट, महलों का दुर्ग और मीठड़ी का किला।
मुबारक महल
- जयपुर के मध्य जय निवास के पास मुबारक महल का निर्माण माधव सिंह द्वितीय द्वारा करवाया गया है।
- सवाई माधो सिंह द्वितीय ने अपने कार्यकाल में अपने खास मेहमानों के ठहरने (अतिथियों के स्वागत-सत्कार) के लिए इसका निर्माण किया गया था।
- यह सिटी पैलेस का नवीनतम हिस्सा है।
- ‘मुबारक महल‘ जयपुर के सिटी पैलेस में चौक के बीचों बीच बना हुआ है।
- जयपुर का मुबारक महल पूरी तरह हिन्दू स्थापत्य शैली में तैयार किया गया है कही कही इस्लामिक, राजपूत और यूरोपीय वास्तुकला शैली के मिश्रण से बना हुआ भी लिखा मिलता है ।
- मुबारक महल का प्रयोग जयपुर रियासत के उच्चतम प्रसाशनिक संस्था ‘महकमा खास‘ या ‘कॉउन्सिल ऑफ स्टेट‘ के ऑफिस के रूप में किया जाता था।
- मिर्जा इस्माइल ने इस महकमा खास को गवर्नमेंट हॉस्टल में शिफ्ट किया था ।
- देश की आज़ादी के बाद पहले चीफ मिनिस्टर हीरा लाल शास्त्री ने गवर्नमेंट हॉस्टल को सचिवालय के रूप में इस्तेमाल किया।
- मुबारक महल चौक में एक कुंए के ऊपर म्यूजिकल घड़ियों वाला घंटा घर है,जिसे सवाई राम सिंह द्वितीय ने बनवाया था।
- सवाई राम सिंह द्वितीय ने यह घडिय़ां इंग्लैंड में बर्किंघम से मंगवाई गई थी।
- मुबारक महल के सीधे हाथ पर जो दरवाजा है, उसे राजेन्द्र पोल कहते है।
- इस महल के बनने से पहले यह सिटी पैलेस के महलों की सरहद हुआ करती थी , जिस कारण राजेन्द्र पोल को ‘सरहद की ड्योढ़ी‘ भी कहते है।
- राजेन्द्र पोल के विशाल कपाट है जिन पर पीतल की दर्शनीय सजावट है।
- मुबारक महल के दक्षिण में पूर्णिया ड्योढ़ी दरवाजा कहते है।
- पूर्व की ओर ऐसा ही विशाल दरवाजा है जिसे ‘गडा की ड्योढी’ कहलाता हैं, इस द्वार को औपचारिक रूप से वीरेन्द्र पोल भी कहते है।
- मुबारक महल की ऊपरी मंजिल में जयपुर सवाई मानसिंह संग्रहालय का वस्त्र विभाग हैं नीचे पोथीखाना है।
नोट – राजस्थान में दो मुबारक महल हैं जिनमें से एक जयपुर में है जयपुर का मुबारक महल मेहमान नवाजी या अतिथि सत्कार के लिए प्रसिद्ध है जबकि टोंक का मुबारक महल ऊंटों की कुर्बानी या बलि के लिए जाना जाता है।
जय निवास
- जयसिंह द्वारा निर्मित– जय निवास महल जयपुर के त्रिपोलिया गेट राज प्रसाद का निर्माण महाराजा जयसिंह द्वारा करवाया गया।
- जयपुर के इस महल में प्रवेश बांदरवाल दरवाजा जिसे कपाट कोटका कहा जाता है से होता है
रामबाग पैलेस –
- रामबाग पैलेस मूल रूप से 1835 में निर्मित है, यह पैलेस 47 एकड़ में फैला हुआ है,।
- रामबाग पैलेस पर पहली इमारत 1835 में राम सिंह द्वितीय की नर्स के लिए बनाया गया एक गार्डन हाउस था।
- 1887 में, महाराजा सवाई माधो सिंह के शासनकाल के दौरान, इसे एक शाही शिकार लॉज में बदल दिया गया था।
- महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय ने रामबाग को अपना प्रमुख निवास बनाया।
- इसके बाद साल 1957 में महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय ने इस महल को आलीशान होटल में बना दिया था।
- रामबाग पैलेस अब ताज होटल रिसॉर्ट्स और पैलेस का हिस्सा है
- रामबाग पैलेस, जिसे ‘जयपुर का गहना‘ || ‘द ज्वेल ऑफ जयपुर‘ के रूप में जाना जाता है।
- 2023 में रामबाग पैलेस दुनिया का नंबर वन होटल है।
- भारत का सबसे महंगा होटल भी रामबाग पैलेस होटल है।
- इसे ग्लोब कोंडे नास्ट ट्रैवलर्स रीडर्स चॉइस अवार्ड्स 2020 में भारत के सर्वश्रेष्ठ होटल के रूप में भी सम्मानित किया गया था
- रामबाग पैलेस को प्रतिष्ठित ट्रैवल प्लस लेजर इंडियाज बेस्ट अवॉर्ड्स 2021 में इसे बेस्ट लग्जरी होटल का खिताब मिला है
- रामबाग पैलेस को Traveller’s Choice Best of Best Hotels in the World for 2023 की TripAdvisor की सूची में शीर्ष (प्रथम) स्थान पर है।
- Source – Rajasthan Tourism
- रामबाग पैलेस ने कई ऐतिहासिक मेहमानों का स्वागत किया है जिनमे लॉर्ड लुइस माउंटबेटन, प्रिंस चार्ल्स और जैकलीन कैनेडी आदि है।
अल्बर्ट हॉल –
- राज सिंह के समय निर्मित ।
- प्रिंस अल्बर्ट द्वारा शिलान्यास किया गया।
- अल्बर्ट हॉल की नींव 1876 में 6 फरवरी को प्रिंस ऑफ वेल्स, अल्बर्ट एडवर्ड (महारानी विक्टोरिया के पति) की जयपुर यात्रा के दौरान रखी गई थी।
- आम लोगों के लिए अल्बर्ट हॉल 21 फरवरी 1887 को खोला गया।
- अल्बर्ट हॉल का वास्तुकार सैमुअल स्विंटन जैकब है।
- अल्बर्ट हॉल रामनिवास बाग के बीच में स्थित है।
- 21 फरवरी 2023 को अल्बर्ट हॉल का 137 वां स्थापना दिवस मनाया गया।
- अल्बर्ट हॉल में मिस्र की 2340 साल (322 ईसवी) पूर्व की मम्मी रखी हुई है ।
- ईरानी गार्डन कारपेट 1632 ईसवी का है।
- जयपुर के अल्बर्ट हॉल को सरकारी केन्द्रीय संग्रहालय (सेंट्रल म्यूजियम) भी कहा जाता है।
- अल्बर्ट हॉल संग्रहालय में प्रतिमाएं चौथी शताब्दी शताब्दी तक की है।
- तथा इसमें उत्तर मध्यकालीन अस्त्र-शस्त्र लघु चित्र में काष्ठ कलाएं पुरानी मुद्राओं का डिस्प्ले किया हुआ है।
- अल्बर्ट हॉल में ही दिसंबर 2018 को अशोक गहलोत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी ।
चंद्र महल
- जयपुर के 7 मंजिल चंद्र महल का निर्माण विद्याधर के द्वारा किया गया।
- चंद्र महल की साज – सज्जा मानसिंह द्वितीय ने जर्मन कलाकार ए एच मूलर से करवाई थी।
- राजपूत और मुग़ल स्थापत्य में बना महाराजा का यह राजकीय आवास चन्द्र महल के नाम से विख्यात हुआ।
- चंद्र महल की दूसरी मंजिल को सुख निवास कहते हैं सवाई जयसिंह की रानी सुख के नाम पर इसका नाम रखा गया है।
- चंद्र महल की तीसरी मंजिल को रंग मंदिर कहा जाता है।
- चंद्र महल की चौथी मंजिल को शोभा निवास पांचवी मंजिल को छवि निवास, छठी मंजिल को श्रीनिवास तथा सातवीं मंजिल को मुकुट मंदिर कहा जाता है।
- चंद्र महल के पास ही प्रीतम निवास था माधो निवास सुंदर महल है।
- इसी महल के पास जय निवास उद्यान बना हुआ है।
आमेर महल
- आमेर किले में स्थित आमेर का महल मावठा झील के पास की पहाड़ी पर स्थित है।
- इसका निर्माण कछवाहा राजा मान सिंह द्वारा 1592 में किया गया।
- यह महल हिंदू मुस्लिम शैली का समन्वित रूप है।
- आमेर महल की प्रमुख विशेषता 40 स्तंभों का दीवाने आम है जिसमें 16 सफेद पत्थर के तथा 24 लाल पत्थर के हैं।
- दीवाने आम का निर्माण मिर्जा राजा जयसिंह ने करवाया।
- आमेर महल का दरवाजा गणेश पोल स्थापत्य एवं चित्रकला के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
- इस द्वार के ऊपर सुहाग मंदिर है, जहाँ से राजवंश की महिलायें दीवान–ए–आम में आयोजित हो रहे समारोहों आदि का दर्शन झरोखों से किया करती थी।
- आमेर महल के नीचे की तरफ ’केसर क्यारी’ बनी हुई है।
Additional Information – आमेर किला 2013 में, राजस्थान के पांच अन्य किलों के साथ एक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।
सामोद महल
- सामोद महल का निर्माण महाराजा बिहारी दास ने करवाया था।
- सामोद महल को राजपूत और मुगल वास्तुकला की मिश्रित शैली से सुसज्जित किया गया है।
- 1987 में, इसे हेरिटेज “समोद पैलेस होटल“ में बदल दिया गया।
- सामोद हवेली 150 साल से भी पहले रावल शिव सिंह ने बनवाई थी।
- इसे शाही परिवार के लिए एक रिसॉर्ट के रूप में बनाया गया था।
- सामोद महल में सात बहनों का मंदिर भी बना हुआ हैं।
सिसोदिया रानी का बाग महल –
- उदयपुर की रानी चंद्रकंवर सिसोदिया के नाम पर सन् 1728 में सवाई जयसिंह ने यह बाग बनवाया था, यह बाग मुगल आर्किटेक्चर में बना हुआ है।
जल महल
- जल महल का शाब्दिक अर्थ “वाटर पैलेस” है। लेकिन निर्माण के समय यह सिर्फ शिकार लॉज बनाया गया था।
- यह महल जयपुर से आमेर के मार्ग पर आमेर की घाटी के नीचे ‘जयसिंहपुरा‘ खोर गांव के ऊपर दो पहाड़ियों के बीच स्थित है।
- जल महल मान सागर झील के बीच में स्थित है।
- जलमहल पांच मंज़िला महल है जिसकी एक मंजिल पानी के ऊपर नजर आती है और 4 मंजिल पानी के भीतर बनी हैं।
- जल महल को एक सममित शैली में गुलाबी बलुआ पत्थर के साथ क्लासिक राजपूत तरीके से डिजाइन किया गया है।
- जल महल का निर्माण जयपुर के मानसिंह द्वितीय ने मनोरंजन के लिए करवाया था।
- सवाई प्रताप सिंह ने जल महल के बीच में सन 1799 में मानसागर तालाब का निर्माण करवाया।
- महल की छत पर एक सुन्दर गार्डन है जिसे चमेली बाग नाम से जाना जाता हैं।
- महाराजा माधोसिंह प्रथम ने इसे एक शिकार लॉज बनाया गया था और उनकी बतख शिकार यात्राओं के दौरान वे यहाँ आते थे।
- कनक वृंदावन एवं फूलों की घाटी इसके पास स्थित है।
- जल महल के अन्य नाम – ‘रोमांटिक महल‘, ‘आई बॉल‘ – अरावली पहाडिय़ों के गर्भ में स्थित यह महल झील के बीचों बीच होने के कारण ‘आई बॉल‘ भी कहा जाता है।
- नोट – ‘रेगिस्तान का जलमहल‘ बाटाडू के कुँए को कहा जाता है, बाटाडू के कुँए बाड़मेर में है बाटाडू के कुँए को मरुस्थल का अमृत सरोवर भी कहा जाता है।
- नोट – जल महल जयपुर में स्थित है जबकि जल महलों की नगरी डीग,भरतपुर को कहा जाता है डीग को 2023 में अलग जिला भी घोषित किया जा चुका है।
शीश महल जयपुर
- आमेर के किले में स्थित शीशमहल का निर्माण मिर्जा राजा जय सिंह ने करवाया था।
- यह महल दीवान–ए–खास के नाम से प्रसिद्ध है।
- शीशमहल का मूल नाम ‘जय मंदिर‘ है।
Additional Information –
- महलों के लिए मंदिर शब्द का प्रयोग करना आमेर और जयपुर में परम्परा रही है।
- शीश महल का निर्माण 1623 ई. में करवाया गया था।
- यह कांच/शीशे के शानदार काम के लिए मशहूर है।
- यह महल जय मंदिर यह मिर्जा राजा जयसिंह द्वारा निर्मित एवं जश मंदिर जो चुने और गज मिट्टी से बनी दीवारों और छतों पर जामिया कांच या शीशे के उक्त टुकड़ों से की गई सजावट के कारण शीश महल कहा जाता है.
- महाकवि बिहारी ने इसे दर्पण धाम कहा है।
- शीश महल के दोनों और के बरामदों में धातु की जालियां काटकर बनाते हुए राधा कृष्ण गोपीकाओं में रंगीन कांच के टुकड़े लगाकर साज सज्जा की गई है।
Additional Information –
राजस्थान में 2 शीश महल है जिनमें से एक आमेर का और दूसरा टोंक में है आमेर का शीश महल कांच के शानदार काम के लिए एवं ‘जय मंदिर‘ नाम से मशहूर है, टोंक का शीश महल पर स्वर्ण की नक्काशी तथा चित्रकारी के काम के कारण सुनहरी कोठी कहलाता है।
बादल महल
- बादल महल तालकटोरा तालाब/ झील के किनारे स्थित है।
- मिर्जा राजा जयसिंह ने 1890 में बनाया था ।
Additional Information नोट राजस्थान के पांच अन्य बादल महल –
- बादल महल जैसलमेर – यह महल सिलावटों द्वारा बनाया गया।
- बादल महल नागौर – यह बादल महल कलात्मक बादल महल कहलाता है।
- बादल महल बीकानेर – यह सोने की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है।
- बादल महल कुंभलगढ़ – इसमें महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था।
- बादल महल डूंगरपुर – गैप सागर झील के किनारे स्थित है।
- ईसरलाट / सरगासूली
- ईसरलाट का निर्माण 1749 ई. में महाराजा ईश्वरी सिंह ने जयपुर के गृहयुद्धों में अपनी तीन विजयों की स्मृति में करवाया था।
- ईसरलाट सात मंजिल ईमारत है ।
- 60 फीट ऊँची ’ईसरलाट’ को स्वर्ग भेदी मीनार या ‘सरगासूली’ भी कहते हैं।
- ईसरलाट को बनाने वाले कारीगर गणेश खोबाल उस्ता थे ।
मोती डूंगरी महल
- मोती डूंगरी महल के निर्माता सवाई माधो सिंह है।
- यह प्राचीन स्कॉटिश किले के रूप में निर्मित करवाया गया।
- जिसे सवाई मानसिंह की तीसरी पत्नी गायत्री देवी ने सुसज्जित करवाया।
- यहां का तख्ते शाही महल प्रसिद्ध है मोती की भांति दिखाई देता है।
- इसके निचे गणेश जी का सुप्रसिद्ध मंदिर मोती डूंगरी गणेश मंदिर है।
- तख्ते शाही महल का निर्माता भी सवाई माधव सिंह था।
टोंक के महल
मुबारक महल
- पूरे भारत में केवल यहाँ बकरा ईद पर ऊंटों की कुर्बानी के लिए प्रसिद्ध है मुबारक सिंह द्वारा निर्मित है
सुनहरी कोठी / शीशमहल –
- 1824 में नवाब वजीउद्दौला द्वारा निर्मित।
- इस कोठी की दूसरी मंजिल नवाब मोहम्मद इब्राहिम अली ने 1870 में बनाई।
- इस कोठी में पच्चीकारी का काम नवाब इब्राहिम अली खान ने करवाया।
- सुनहरी कोठी का पहले नाम जरगिनार रखा गया।
- सुनहरी कोठी/ शीशमहल में बैठकर नवाब धार्मिक राजनीतिक मामलों की चर्चा किया करते थे।
- टोंक का शीश महल पर स्वर्ण की नक्काशी तथा चित्रकारी के काम के कारण सुनहरी कोठी कहलाता है।
राजमहल , टोंक
- टोडारायसिंह तहसील में बीसलपुर बाँध के समीप स्थित हैं।
- राज महल बनास , खरी व डाई के त्रिवेणी संगम पर स्थित है।
बूंदी के महल
रंग महल / चित्रशाला
- उमेद सिंह के समय निर्मित रंगीन भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है।
- इस महल के भित्ति चित्रों में धार्मिक , ऐतिहासिक एवं शिकार संबंधी दृश्य चित्रित किए गए हैं।
सुख महल –
- बूंदी में जैतसागर के किनारे सुख महल का निर्माण 1773 ईस्वी में महाराव विष्णु सिंह ने करवाया।
- सुख महल बूंदी में अंग्रेजी उपन्यासकार रुडयार्ड किपलिंग रुके थे ।
- ऐसा माना जाता है कि नोबेल पुरस्कार विजेता रुडयार्ड किपलिंग ने अपने प्रसिद्ध उपन्यास ‘किम‘ का कुछ हिस्सा बूंदी में लिखा था।
रतन दौलत दरीखाना
- बूंदी राजप्रासाद में स्थित महल जिसमें बूंदी नरेशों का राजतिलक होता था।
- इसी महल के पास में चित्रशाला व अनिरुद्ध महल बने हुए हैं।
Additional Information
बूंदी के महलो के लिए कर्नल टॉड ने कहा था रजवाड़ों में बूंदी के महल सर्वश्रेष्ठ हैं ।
नोबेल पुरस्कार विजेता रुडयार्ड किपलिंग ने बूंदी के महलो के बारे में लिखा: “बूंदी का महल, दिन के उजाले में भी, एक ऐसा महल है जिसे पुरुष अपने लिए बेचैन सपनों में बनाते हैं – पुरुषों के बजाय भूतों का काम”।
कोटा के महल
कोटा गढ़ पैलेस
- कोटा गढ़ पैलेस को कोटा सिटी पैलेस के रूप में भी जाना जाता है।
- यह प्रमुखतः राजपूत स्थापत्य शैली में बनाया गया है।
गुलाब महल , कोटा
महाराव जैत्रसिंह हाड़ा द्वारा निर्मित
- कोटा का हवामहल – राम सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित
- छत्र विलास , कोटा – छत्रसाल द्वारा निर्मित
अभेड़ा महल , कोटा
- अभेड़ा महल का निर्माण 18 वीं शताब्दी में कराया गया था।
- यहां महल शाही आरामगाह की दृष्टि से निर्मित करवाया गया था।
- अभेड़ा महल में राजकुमारी धीरदेह द्वारा पानी का कृत्रिम जलाशय निर्मित करवाया गया था।
- महाराव उम्मेदसिंह द्वितीय के शासनकाल में इस जलाशय में मगरमच्छ को पाला जाता था।
- महल के समीप करनी माता मंदिर भी है।
- चम्बल नदी के किनारे राज्य सरकार द्वारा पर्यटक केन्द्र के रूप में विकसित है।
अबली मीणी का महल, कोटा
- मुकुंद सिंह द्वारा अपनी पासवान अबली मीणी के लिए बनवाया था।
- कर्नल जेम्स टॉड ने अबली मीणी महल को राजस्थान का दूसरा या छोटा ताजमहल की संज्ञा दी थी।
- नोट – राजस्थान का ताजमहल या मारवाड़ का ताजमहल – जसवंत थड़ा जोधपुर को कहा जाता है।
- जिसका निर्माण दर्रा वन्यजीव अभयारण्य में मुकन्दरा हिल्स पर रावमुकुन्द सिंह द्वारा करवाया गया था ।
जगमंदिर महल किशोर सागर, कोटा
- महाराव दुर्जनशाल सिंह जी की महारानी तथा उदयपुर की राजकुमारी ब्रज कंवर जी ने यह कृत्रिम जलाशय किशोर सागर तथा जगमंदिर का निर्माण 1743-45 के मध्य करवाया गया था।
- यहां पर सांय के समय लेजर फिल्म एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है।
- नोट – एक अन्य जगमंदिर पिछोला झील उदयपुर में भी बना है जिसे गोल महल भी कहते हैं। (Source – Raj Govt )
झालावाड़ के महल
काष्ठ महल , झालावाड़
- यह महल राजेंद्र सिंह द्वारा कृष्ण सागर झील के किनारे बनवाया गया इसे लकड़ी का रैन बसेरा भी कहा जाता है
गढ़ पैलेस भवन झालावाड़
- 1838 ईस्वी में झाला राजा मदन सिंह द्वारा निर्मित गढ़ प्लेस चौकोर है।
- गढ़ पैलेस भवन के तीन द्वार हैं।
सवाई माधोपुर के महल
हम्मीर महल , सवाई माधोपुर
- हम्मीर द्वारा निर्मित रणथम्बोर के किले में स्थित है।
जोगी महल
- यह महल रणथंबोर के राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है।
- रणथंभौर के शासक राव हम्मीर ने जोगी महल अपने गुरु के लिए बनवाया था।
- जोगी महल को रणथंभौर का ह्रदय भी कहा जाता है।
- जोगी महल का उल्लेख योगी नाथ समाज की जागा की पोथियों में मिलता है।
- इस महल में हम्मीर के राजगुरु सत्यनाथ तपस्या करते थे।
- इनकी समाधि जोगी महल में बताई जाती है।
- नोट अतरिक्त जानकारी – जोगी महल के पास देश का दूसरा बड़ा बरगद का पेड़ स्थित है, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने साल 2000 में अपनी रणथंभौर यात्रा के दौरान बरगद के पेड़ को ‘ द वार्दिंग ट्री ‘ नाम दिया था।
- देश का सबसे बड़ा बरगद कोलकाता के द आचार्य जगदीश चंद्र बोस बॉटनिकल गार्डेन में स्थित है।
भरतपुर के महल
डीग के महल
- डीग महल कठोर बलुआ पत्थर से निर्मित है।
- यहां के महल चतुष्कोण या आकृति का निर्माण करते हैं।
- डीग को जल महलों की नगरी कहा जाता है।
- यहाँ 1725 ईस्वी में राजा बदन सिंह द्वारा बनाये गए प्राचीन महल है।
- डीग जल महलो एवं फवारों के लिए प्रसिद्ध है।
- डीग भरतपुर रियासती शासको की प्राचीन राजधानी थी।
- इसके बाद के जल महलों का निर्माण भरतपुर के जाट राजा सूरजमल जी ने 1755 ईस्वी से 1765 ईस्वी के मध्य करवाया।
- डीग के महलों में गोपाल भवन , केशव भवन ,किशन भवन , नन्द भवन , सूरज भवन तथा सावन भादो महल प्रमुख है।
गोपाल भवन
- डीग के महलों में सबसे अधिक भव्य एवं बड़ा महल गोपाल भवन है।
- इसका निर्माण महाराजा बदन सिंह ने शुरू करवाया जिसे सूरजमल ने पूर्ण करवाया।
भरतपुर के अन्य महल
- भरतपुर के महल महाराजा सूरजमल द्वारा निर्मित
- चील महल – कामां, भरतपुर
- किशोरी व डिपोड़ी महल – भरतपुर
- धौलपुर पैलेस – यह महल “राज निवास पैलेस” के नाम से भी जाना जाता है। लाल रंग के पत्थरों से निर्मित इस महल को 19वीं सदी में बनवाया गया था
अलवर के महल
विजय मंदिर पैलेस
- 1918 में अलवर महाराजा विजयसिंह द्वारा विजय सागर झील के तट पर निर्मित है।
- इस महल में सीता राम का भव्य मंदिर है.
- झील के निकट बने इस भवन की दीवारें धार्मिक एवं पौराणिक संदर्भों पर आधारित भित्ति चित्रों से अलंकृत हैं।
विनय विलास पैलेस
विनय सिंह द्वारा निर्मित
अलवर सिटी पैलेस
- 1793 ई. में बख्तावर सिंह द्वारा निर्मित भवन ।
- अलवर सिटी पैलेस अब जिला कलेक्ट्रेट हाउसिंग का सरकारी कार्यालय है।
- इसकी वास्तुकला में राजपुताना व इस्लामिक शैलियों का समन्वय है।
- इसके आंगन में कमल के फूल के आकार का संगमरमर का मण्डप है।
- इस महल में मोहम्मद गोरी,अकबर , जहांगीर व औरंगजेब की तलवारे मुख्य आकर्षण है।
- इस महल में एक ऐसी म्यान है जिसमें दो तलवारे रखी जा सकती है।
हवा बंगला
तिजारा पहाड़ी पर विनय सिंह एवं बख्तावर सिंह द्वारा निर्मित।
सिलीसेढ़ महल
- वर्ष1845 में महाराजा विनय सिंह ने अपनी रानी शीला के शिकार के लिए इस महल का निर्माण करवाया।
- वर्तमान में यह राजस्थान पर्यटन विकास निगम द्वारा हैरिटेज होटल के रूप में संचालित किया जा रहा है।
- नोट सिलीसेढ़ झील को राजस्थान का “नंद कानन” कहा जाता है।
मोती डूंगरी महल
- मोती डूंगरी महल सन् 1882 ई. में यह अलवर के शाही परिवार का निवास स्थल था।
- 1928 में महाराजा जयसिंह ने इसका जीर्णोद्धार करवाया था।
इटराणा की कोठी
- इटराणा की कोठी का निर्माण महाराजा जयसिंह ने करवाया।
- यह उत्कृष्ट जाली झरोखों एवं तोरण नुमा टोडे से युक्त मनोरम महल है।
सरिस्का पैलेस
- अलवर जयपुर सड़क मार्ग पर बना हुआ है।
- इसका प्लेस के निर्माता महाराजा जयसिंह है।
- जयसिंह ने इसका निर्माण ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग की शिकार यात्रा के उपलक्ष में करवाया था।
- वर्तमान में यहां पर होटल सरिस्का पैलेस संचालित है।
झुंझुनू के महल
खेतड़ी महल , झुंझुनू
- खेतड़ी महल को राजस्थान का दूसरा हवा महल कहा जाता है।
- इस महल का निर्माण राजा भोपाल सिंह ने 1960 में ग्रीष्म ऋतु में विश्राम के लिए किया था।
- खेतड़ी महल 7 मंजिला कटोरेनुमा बुर्ज है।
- शेखावटी का हवामहल – खेतड़ी महल को शेखावटी का हवामहल भी कहा जाता है।
- इस महल में लखनऊ जैसी भूल भुलैया व जयपुर के हवामहल की झलक भी देखने को मिलती है।
डूंगरपुर के महल
बादल महल
- डूंगरपुर , यह महल वास्तुकला के जटिल डिज़ाइन के लिए प्रसिद्ध है तथा गैप सागर झील के किनारे स्थित है।
- यह महल अपने विस्तृत आलेखन और राजपूत और मुगल स्थापत्य शैली की एक मिली जुली संरचना के लिए प्रसिद्ध है।
एकथम्बिया महल
- एकथम्बिया महल डूंगरपुर के गैब सागर झील के तट पर उदयविलास राज प्रसाद में स्थित शिवालय है।
- जिसका निर्माण महारावल शिवसिंह द्वारा अपनी राजमाता राज माहिषी ज्ञान कुमारी की स्मृति में करवाया था।
- इसे कृष्ण प्रकाश महल भी कहा जाता है।
- यह चारों तरफ से उदय बिलास, खुमान निवास, विजय निवास और लक्ष्मण निवास से घिरा हुआ है।
- यह गुलाबी और सफेद पत्थर से बनाया गया है।
- एक थम्बिया महल डूंगरपुर के स्थानीय वास्तुकारों की असाधारण वास्तुकला शैली का एक शानदार उदाहरण है।
- एकथंभिया महल राजपूत वास्तुकला से बनाया गया है।
उदय विलास पैलेस
- डूंगरपुर में गैब सागर के तट पर स्थित इस महल का निर्माण महारावल होते सिंह ने करवाया।
- महाराजा उदयसिंह द्वितीय के नाम पर उदय विलास पैलेस का नाम रखा गया था।
- यहां पर “पारेवा” नामक स्थानीय नीले ’धूसर’ पत्थर से बनाई गई सुंदर कलाकृतियां है।
- उदय विलास पैलेस को सफेद संगमरमर और नीले पत्थर से बनाया गया है, जो पाषाण कारीगरी का नमूना है।
- इस महल को रानीवास, JUNA MAHALउदय विलास और कृष्ण प्रकाश में विभाजित किया गया है।
- इस महल में कामसूत्र पेंटिंग्स बनी हुई हैं।
- उदय विलास पैलेस अब उदय विलास हैरिटेज होटल में परिवर्तित कर दिया गया है।
जूना महल
- जूना महल 13वीं शताब्दी में निर्मित (ओल्ड पैलेस) एक सात मंज़िला इमारत है।
- जूनागढ़ महल डूंगरपुर में धन माता पहाड़ी पर महारावल वीर सिंह ने बनाया।
- यह एक ऊँची चौकी पर ’पारेवा’ पत्थर से बनाया गया है, जो बाहर से एक क़िले के रूप में प्रतीत होता है।
- सन् 1818 में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने इसे अपने अधिकार में ले लिया था।
- यह जगह डूंगरपुर प्रिसंली स्टेट की राजधानी थी।
- यह महल आकर्षक बीते चित्रों एवं शीशे के कार्यों से अलंकृत हैं।
- सात मंजिला महल के चकोर खंभे छज्जे झरोखे बारीक़ कामवाली जालियां राजपूत स्थापत्य कला का सुंदर नमूना पेश करती है।
करौली के महल
भंवर विलास महल करौली
सन् 1938 में महाराजा गणेश पाल देव बहादुर द्वारा, शाही निवास के रूप में भँवर विलास पैलेस/महल बनाया गया था।
राजस्थान के प्रमुख महलों की ट्रिक्स
बीकानेर – अनूप सिंह लाल गज को कान पकड़कर गंगा में ले गया |
उदयपुर – धौला सज्जन गोल मोती लेकर हुआ और फूल सहित सात मंजिला महल गया |
सवाई माधोपुर – हमीर सुपारी खाकर पुस्तक विमान पर बादल में से होकर जोगी महल पहुंचा |
भरतपुर – सावन भादो में से सूरज के चमकने से डिंग के गोपाल महल सुंदर लगते हैं
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