राजस्थान के साहित्य की प्रमुख रचनाएँ | Rajasthan ke saahity kee pramukh rachanaen

राजस्थान के साहित्य की प्रमुख रचनाएँ Rajasthan ke saahity kee pramukh rachanaen

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नमस्कार दोस्तों आज हम पढ़ेंगे राजस्थान के साहित्य की प्रमुख रचनाएँ | Rajasthan ke saahity kee pramukh rachanaen | इस पोस्ट को करते समय काफी सावधानी बरती गई है ताकि आप तक जो जानकारी पहुंच रही है वाह सत्यापित हो फिर भी हो सकता है लिखने में कोई त्रुटि हो गई हो | तो आप हमें कमेंट करके बता सकते। अगर आपको हमारा यह प्रयास अच्छा लगे तो प्लीज शेयर करो| हम आप सब के लिए प्रयास कर रहे हैं की उच्च क्वालिटी कंटेंट बेहतर प्रश्नों को संकलन किया जाए | ताकि आप अपनी परीक्षा में सत्र उम्मीद करते हैं | आज की हमारी यह पोस्ट आपकी तैयारी में आपका ज्ञान वर्धन करने में सहायता करेगी |

राजस्थानी भाषा की उत्पत्ति शौरसेनी के गुर्जर अपभ्रंश से मानी जाती है प्रसिद्ध इटालियन विद्वान एवं भाषा शास्त्री डॉ. एल पी तेस्सीतोरी ने राजस्थानी की उत्पत्ति शौरसेनी अपभ्रंश से, सर जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन डॉक्टर पुरुषोत्तम मेनारिया ने नागर अपभ्रंश से मानी है तथा श्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी एवं मोती लाल मेनारिया राजस्थानी की उत्पत्ति गुर्जरी अपभ्रंश से मानते हैं सर्वप्रथम राजस्थानी शब्द का प्रयोग जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने 1912 ईस्वी में अपनी पुस्तक Linguistic survey  of India में किया |

Rajasthan Daily Current Affairs

प्रमुख रचनाओ से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य

  • संत चरणदास व लाल दास जी की साहित्य की भाषा मेवाती भाषा थी|
  • संत दादू ने अपनी साहित्यिक रचनाएं ढूंढाड़ी भाषा में लिखी है |
  • नेणसी ख्यात राजस्थानी भाषा में लिखी हुई है |
  • राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृत अकादमी द्वारा सूर्यमल मिश्रण शिखर पुरस्कार दिया जाता है |
  • शिशुपाल वध संस्कृत में लिखा हुआ है |
  • वृहत कथा कोष हरीश सेन ने लिखा |
  • “अरावली री आत्मा” पुस्तक के लेखक नरोत्तम स्वामी है
  • श्रंगार हार की रचना महाराजा हमीर ने की |
  • झीड़े जैसलमेर में प्रचलित एक विशेष काव्य पद्धति है जिसके अंतर्गत गाया जाने वाला सबसे पुराना काव्य “ढोला मारू रा दूहा” है
  • टेराकोटा ऑफ राजस्थान – डॉक्टर प्रमोद कुमार
  • टमरकटू – निरंजन
  • लेखिका लक्ष्मी कुमारी चुंडावत को राजस्थान में रानी जी के नाम से भी जाना जाता है
  • राजस्थानी साहित्य का वीरगाथा काल विक्रम संवत 800 से 1460 |
  • कायाबेली ग्रंथ की रचना दादू दयाल ने की |
  • रंगीलो राजस्थान के रचनाकार भारत व्यास हैं
  • केहर प्रकाश के रचनाकर – बख्तावर हैं |
  • गीता रो झुमको – रघुराज सिंह हाड़ा की रचना है |
  • राजस्थान के राजघरानों का सांस्कृतिक अध्ययन – राघवेंद्र सिंह की रचना है |
  • खेजड़ी की बेटी अशोक राही की कृति है
  • जय चित्तौड़ के रचनाकार चंद्र हैं

राजस्थान के साहित्य की प्रमुख रचनाएँ

Note :-

  • राजस्थानी भाषा का प्रथम नाटककेसर विलास
  • राजस्थानी भाषा का प्रथम उपन्यास – शिवचन्द्र भरतिया रचित कनक सुन्दर

1. पृथ्वीराज रासौ :- कवि चन्दबरदाई

  • कवि चन्दबरदाई दिल्ली के अन्तिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान का दरबारी कवि था
  • इस ग्रन्थ में अजमेर के अन्तिम चौहान सम्राट पृथ्वीराज चौहान तृतीय के जीवन चरित्र एवं युद्धों का वर्णन है। पृथ्वीराज रासौ पिंगल में रचित वीर रस का महाकाव्य है।
  • पृथ्वीराज रासौ ढाई हजार पृष्ठों का वृहद ग्रन्थ है।
  • इसके उत्तरार्द्ध की रचना चन्दबरदाई के पुत्र जल्हण/जयानक ने की थी।
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2. पृथ्वीराज विजय :- जयानक

  • इसमें पृथ्वीराज चौहान के वंशक्रम एवं उपलब्धियों का वर्णन है।

3. पद्मावतःमलिक मोहम्मद जायसी

  • इसकी रचना लगभग 1543 ई. में की गई।
  • पद्मावत में अलाउद्दीन खिलजी एवं रतनसिंह के मध्य हुए युद्ध (1301ई.) का वर्णन है।

4. विजयपाल रासौ :- नल्लसिंह

  • यह ग्रन्थ पिंगल भाषा में हैं
  • इसमें विजयगढ़ (बयाना) के यदुवंशी राजा विजयपाल की दिग्विजय का वर्णन है।

5. वेलि किसन रूकमणि री :- पृथ्वीराज राठौड़

  • पृथ्वीराज राठौड़ पीथल नाम से रचना करते थे।
  • पृथ्वीराज राठौड़ बीकानेर रायसिंह के छोटे भाई थे।
  • वेलि किसन रूकमणि री डिंगल भाषा में लिखी हुई थी
  • दुरसा आढा नेवेलि किसन रूकमणि रीग्रन्थ को पाँचवा वेद 19 वां पुराण  कहा है।

6.  विरूद छतहरी, किरतार बावनी :- कवि दूरसा आढा

  • आढा अकबर के दरबारी कवि थे। ।
  • दूरसा ओढ़ा की मंदिर पीतल की मूर्ति अचलगढ़ के अचलेश्वर में विद्यमान है।
  • विरूंद छतहरी में महाराणा प्रताप के शोर्य गाथा है।
  • किरतार बावनी में उस समय की समाजिक एवं आर्थिक स्थिति का वर्णन है।
  • इनमें महाराणा प्रताप की तारीफ में 76 उपाधियों के वर्णनात्मक दोहे की रचना है

7. आईने अकबरी और अकबर नामा : अबुल फजल

  • अबुल फजल अकबर के नव रत्नों में से एक था।
  • आईने अकबरीअकबर की जीवनी है।
  • अकबर नामा में तैमूर से हुमायूं तक के वंश का इतिहास दिया हुआ है।
  • अबुल फजल नें अपनी पुस्तक आइने-ए-अकबरी मे मारवाडी भाषा का वर्णन किया था।
  • अबुल फजल द्वारा लिखे गये अकबर को पत्रों के कारण वह  “रूक्कत ए अबुल फजलकहलाता है।  

8. कनक सुन्दरी/ केसर विलासशिवचन्द भरतिया

  • शिवचन्द भरतिया को आधुनिक राजस्थानी उपन्यास साहित्य का प्रवर्तक माना जाता है।
  • इसीलिए शिवचंद्र भर्तियों को आधुनिक राजस्थानी का प्रथम साहित्यकार माना जाता है |
  • कनक सुन्दरी को राजस्थानी भाषा का प्रथम उपन्यास माना जाता |

9. अचलदास खीची री वचनिका:- शिव दास गाडण

  • इसकी रचना डिंगल भाषा में हुई।
  • इस ग्रन्थ में माण्ड के सुल्तान शंगशाह एवं गागरोन के शासक अचलदास खीच के मध्य हुए युद्ध (1423) का वर्णन है।

10. वंशभास्करसूर्यमल्ल मिश्रण

  • वंश भास्करबूंदी राज्य का पद्यात्मक इतिहास है।
  • मिश्रण बूंदी के राजा रामसिहं-II के दरबारी कवि  थे |
  • वीर रस के कवियों में सूर्यमल्ल के टक्कर का दूसरा कवि नहीं है।
  • वंश भास्कर को पूर्ण करने का कार्य इनके दत्तक पुत्र मुरारीदान ने किया था।
  • सूर्यमल्ल स्वतंत्रता प्रेमी व वीर रस के प्रेमी होने के कारण वीर रसावतारकहलाये।

 11. वीर सतसई: – सूर्यमल्ल मिश्रण

  • इस ग्रन्थ में सूर्यमल्ल मिश्रण ने 1857 की घटनाओं को व्यवस्थित तरीके से प्रस्तुत किया था।

12. वीर विनोद :- कविराज श्यामलदास दधिवाड़िया

  • वीर विनोद ग्रन्थ चार खण्डों में रचित है।
  • वीर विनोदनामक रचित ग्रन्थ को ब्रिटिश सरकार द्वारा  केसर-ए-हिन्दकी उपाधि प्रदान की गई।
  • मेवाड़ के महाराणा सज्जन सिंह ने श्यामलदास कविराजएवंमहामहो पाध्यायकी उपाधि प्रदान की।

13. चेतावनी रा चुँगटिया :- केसरीसिंह बारहठ  

  • इस ग्रन्थ में रचित दोहों के माध्यम से केसरीसिंह बारहठ ने मेवाड़ के स्वाभिमानी महाराज फतेहसिंह को 1903 . के दिल्ली दरबार में जाने से रोका था।

14. रूकमणी हरण :- नागदमण सायांजी झूला

  • सायांजी ने डिंगल भाषा में इसकी रचना की।
  • सायांजी ईडर नरेश राव कल्याणमल के आश्रित कवि थे।
  • ये श्रीकृष्ण के भक्त थे।

15. राव जैतसी रो छंद :- बीठू सूजाजी

  • डिंगल भाषा के इस ग्रन्थ की रचना में बाबर के पुत्र कामरान व बीकानेर नरेश राव जैतसी के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है।

16. रणमल छंद :- श्रीधर व्यास

  • इसमें पाठन के सूबेदार जफर खां ईडर के राठौड़ राजा रणमल के युद्ध का वर्णन है।

17. शारंगधर संहिता :- शारंगधर

  • यह संस्कृत भाषा का प्रसिद्ध आयुर्वेदिक ग्रन्थ है।

18. बीसलदेव रासौ :- नरपति नाल्ह

  • इस ग्रन्थ में अजमेर के चौहान शासक बीसलदेव (विग्रहराज चतुर्थ) एवं उनकी रानी राजमती की प्रेम गाथा का वर्णन है।

19. राजस्थान के रणबांकुरे :- राजेन्द्र सिंह राठौड़

  • इस पुस्तक में कारगिल युद्ध में वीरता का परिचय देने वाले राजस्थान के 92 शहीदों का वर्णन किया गया ह।

20. बिहारी सतसई :- महाकवि बिहारी

  • बिहारी का जन्म मध्यप्रदेश में हुआ था।
  • बिहारी जयपुर नरेश मिर्जाराजा जयसिंह के दरबारी कवि थे।
  • इस ग्रन्थ की रचना बिहारी ने ब्रज भाषा में की थी।
  • बिहारी सतसई में कुल 713 दोहे हैं।
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21. बांकीदास री ख्यात :-  बांकीदास

  • बांकीदास जोधपुर के महाराजा मानसिंह के काव्य गुरू थे।
  • दातार बावनी भी बांकीदास द्वारा रचित है
  • “आयो अंग्रेज मुल्क रे ऊपर ”  गीत के रचयिता बांकीदास है

22. कुवलयमाला :- उद्योतनसूरी

  • उद्योतन सूरी ने इस ग्रन्थ की रचना जालौर में की थी।
  • जैन कवि उद्योतन सूरी ने 8 वीं शताब्दी में’ ‘कुवलयमाला’ नामक पुस्तक लिखी।
  • कुवलयमाला में 18 भाषाओं का वर्णन है। जिनमे मरू भाषा भी शामिल है।
  • कुवलयमाला में मारवाड़ी भाषा को मरुवाणी या मरू भाषा कहा गया |

23. प्राचीन लिपिमाला, राजपूताने का इतिहास :- पं. गौरीशंकर ओझा

  • पं. गौरीशंकर ने हिन्दी में सर्वप्रथम भारत लिपि का शास्त्र लेखन कर अपना नाम गिनीज बुक में लिखवाया।
  • पं. गौरीशंकर ओझा (रोहिड़ा , सिरोही ) की अन्य पुस्तक जेम्स टॉड का जीवन चरित्र |

 24. हम्मीर महाकाव्य :- नयनचन्द्र सूरी

  • सूरी ने इस गन्थ की रचना संस्कृत भाषा में की थी।
  • हम्मीर महाकाव्य में रणथम्भौर के चौहान शासकों का वर्णन है।

25. दयालदास री ख्यात :- दयालदास सिंढायच

  • इसमें बीकानेर जोधपुर के राठौड़ों के इतिहास का वर्णन है।
  • दयालदास री ख्यात दो खण्डों में विभाजित है।

25. हम्मीर रासौ :- शारंगधर (जोधराज)

  • इस काव्य ग्रन्थ में रणथम्भौर शासकहम्मीर चौहान की वंशावली व अलाउद्दीन खिलजी के साथ युद्ध एवं उनकी वीरता का वर्णन है।  हम्मीर रासौ संस्कृत भाषा में है।

26. ढोला मारू रा दूहा :- कवि कल्लोल

  • कवि कल्लोल ने इसकी रचना डिंगल भाषा में की थी।
  • इस ग्रन्थ में ढोला एवं मरवण के प्रेमाख्यान का वर्णन है।

27. मुहणोत/भूता नैणसी री ख्यातमारवाड़ रा परगना री विगत  :-  मुहणौत नैणसी

  • मुंशी देवी प्रसाद ने मुहणौतनैणसी को जसवंतसिंहप्रथम का  दीवान बताया है
  • मुंशी देवी प्रसाद ने नैणसी को राजपूताने का अबुल फजल कहा है
  • मारवाड़ रा परगना री विगतकोराजस्थान का गजेटियरकहा जाता है।
  • नैणसी री ख्यात उत्तरमध्य युगीन राजस्थानी भाषा में लिखी गई ख्यात है।

28. राजरूपक :  वीरभाण

  • यह डिंगल भाषा का ग्रन्थ है।
  • राजरूपक में महाराणा अभयसिंह और गुजरात के सूबेदार शेर विलन्द खां के युद्ध का वर्णन है।

29. तारीखउलहिन्द :- अलबरूनी

30. तारीखयामिनी :- अल उतबी 

  • मुहम्मद गजनवी के राजपूतों के साथ हुए संघर्षों की जानकारी प्राप्त होती है।

31. तारीखअलाई/ खजाईनुलफुतुह :- अमीर खुसरा

  • इस ग्रन्थ मं अलाउद्दीन खिलजी एवं मेवाड़ के राणा रतनसिंह के मध्य सन 1303 में हुए युद्ध एवं सती प्रथा का वर्णन किया गया है।

32. Linguistics Survey of India – जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन

  • जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने अपनी पुस्तक  Linguistics Survey of India में (1912) राजस्थानी भाषा का वर्णन किया था।

33. संगत सिंघ रासौगिरधर आसिया

  • संगत सिंघ रासौ में  महाराणा प्रताप केभाई शक्ति सिंह चेतक का वर्णन |

34. खुमाण रासौदलपत विजय

  • खुमाण रासौ में मेवाड़ के बप्पा रावल से लेकर राज सिंह तक का वर्णन है

35.  राणा रासौ –  दयाल (दया राम)

  • राणा रासौ में बप्पा रावल से लेकर जयसिंह तक का वर्णन है|

36. शत्रुसाल रासौडूंगर सिंह

  • बूंदी के राजा शत्रुसाल का वर्णन है|

37. गजगुण रूपक, अमरसिंह जी रा दूहाकेशवदास गाडण

  • केशवदास गाडण  मारवाड़ के  गजसिंह के  दरबारी कवि

अन्य महत्वपूर्ण पुस्तकें

38. तारीखफरिश्ता –  मुहम्मद कामिस फरिश्ता

39. तजुकजहाँगीरी – मुगल सम्राट जहाँगीर

40. हुमायूंनामा गुलबदन बेगम

41. कान्हड़दे प्रबंध, हम्मीरायण – पद्मनाभ

कान्हड़दे प्रबंध के रचयिता जालौर रियासत के शासक अखैराज सोनगरा के दरबारी कवि पदमनाभ है। इसमें जालौर के वीर सोनगरा चैहान शासक कान्हड़देवे अलाउद्धीन खिलजी  के मध्य हुए युद्ध का वर्णन है।

Major works of literature of Rajasthan,

42. रूठी रानी – केसरी सिंह बारहठ

43. राव जैतसी रो छंद – बीठु सूजा जी

44. हालां झाला री कुण्डलियाँ ईसरदास बारहठ

45. बेलि किसण रूकमणि री राठौड़ पृथ्वीराज

46. लीलटांस – कन्हैयालाल सेठिया

47. हूँ गोरी किव पींव री – यादवेन्द्र शर्मा चन्द्र

48. पातल पीथल – कन्हैयालाल सेठिया

49. राजस्थानी कहावतां – मुरलीधर व्यास

50. पगफैरो – मणि मधुकर

51. सूरज प्रकाश –  करणदान

52. नरसी जी रो मायरौ – रतना खाती

53. एकलिंग महाकाव्य – महाराणा कुंभा

54. भारतेश्वरबाहुबलि घोर वज्रसेन सूरी

See also  The length of the Rajasthan major rivers

55. प्रबन्ध कोष , कर्पूर मंजरी –  राजशेखर

56. डिंगल कोष – मुरारीदान

57. विरूद छहतरी –  दुरसा ओढा

58. बातां री फुलवारी – विजयदान देथा

59. सगत रासौ –  गिरधर आसिया

60. हरिकेलि नाटक – विग्रहराज चतुर्थ

61. आर्ष रामायण –  साहिबुद्दीन, मनोहर

62. धरती धौरां री – कन्हैयालाल सेठिया

63. सबद –  कन्हैयालाल सेठियाrajasthan gk

64. निग्रंथ – कन्हैयालाल सेठिया

65. प्रलय प्रतीक्षा नमो नमः हीरालाल शास्त्री

66. जो देश के लिए जिए –  शंकर सहाय सक्सेना

67. राजस्थानी शब्दकोश –  सीताराम लालस

68. टाबरां री बातां – लक्ष्मी कुमारी चूड़ावत

69. What are Indian States – विजय सिंह पथिक

70. ट्रेवल्स इल वेस्टर्न इण्डिया कर्नल जेम्स टॉड

71. अजीतोदय (जोधपुर नरेश अजीतसिंह का वर्णन) – पण्डित जगजीवन 

72. वचनिका राठौड़, रतनसिंह महेदासोत राठौड़, सोतरी (रतनरासौ) –  जग्गा खिड़िया

  • महेदासोत राठौड़ रतलाम का राजा था।
  • धरमत के युद्ध मे पराजित हो गया था

73. राजिया रा दुहा –  कृपाराम खिड़िया

  • राजिया कृपाराम खिड़िया जी का सेवक था
  • कृपाराम खिड़िया  सीकर राजा लक्ष्मण सिंह के दरबारी कवि

74. भाषा भारथ (महाभारत का डिंगल में अनुवाद )खेतसी साई

Rajasthan Literature Texts and Books

75. जसवंत जसो भूषण (अधिक अलंकारो का प्रयोग)मुरारीदास –  ( जोधपुर जसवंतसिह II – का दरबारी कवि)

76. कायम रासौजानकवि न्यायत खां फतेहपुर (सीकर) के (कायमखानी नवाब)

  • न्यायत खां ने जानकवि नाम से पुस्तकों की रचनाएं
  • जानकवि फतेहपुर (सीकर) के (कायमखानी नवाब)

77. ढोला मारू री चौपाई / ढोला मारवणी री चैपाई –  कुशललाभ  

  • कुशललाभ  जैसलमेर के राजा हरराज के दरवार मे था |

78. हरि पिंगल प्रबन्धजोगीदास

  • प्रतापगढ़ के राजा हरिसिंह का वर्णन |

79. अमल रा औगुण ,दारू रा दौस,भजन री महिमा –  उमरदान

  • दादूपंथी साधुओं की आलोचना की थी
  • 56 के अकाल का वर्णन किया था

80. नागर समुच्चय भक्त

81. हम्मीर हठ , सर्जन चरित चन्द्रशेखर

83. राजपुताने का इतिहास –  पं. गौरीशंकर ओझा

84. अकबरनामाअबुल फजल

85.  अनूप विलास  – मणिराम

86. अनूप संगीत रत्नाकर – भाप भट्ट

87. पाबूजी रा छंद –  बिठू मेहा

88. बीकानेर रा राठौड़ री  ख्यात – दयालदास सिडयाच
89. सूरजप्रकाश – कविया करणीदान

90. राजविनोदभट्ट सदाशिव

  • बीकानेर के राव कल्याणमल के समय रचित राजविनोद ग्रंथ में 16वीं शताब्दी के बीकानेर राज्य के सामाजिक, आर्थिक व राजनीति जीवन आदि का वर्णन मिलता है।

91.  माधवानल चौपाई – कुशललाभ

92. बृजनिधि ग्रंथावलिजयपुर महाराजा प्रतापसिंह कच्छवाह

93. तारीख-ए-फिरोजशाही जियाउद्धीन बरनी

94. तारीख-ए-शेरशाही – अब्बास खां सरवानी

शेरशाह सूरी एवं मारवाड़ के शासक राव मालदेव के सन 1544 ई में हुए गिरी सुमेल के युद्ध का वर्णन किया गया है।

95. सिरोही राज्य का इतिहास – पं. गौरीशंकर हीराचंद ओझा

96. राग मंजरी , राग चंद्रोदय – पुण्डरीक विठ्ठल

100. भट्टि काव्य भट्टि

101. अमरकाव्य वंशावली रणछोड़दास भट्ट

102. गीत गोविन्द  – जयदेव

103. कथा सरित्सागर – सोमदेव

104. राजतरंगिणी  – कल्हण

105. शिशुपाल वध – महाकवि माघ

106. मेरुतुंग – प्रबंध चिंतामणि 

आधुनिक राजस्थानी साहित्य

सूर्यमल्ल मिश्रण वंश भास्कर,वीर मतराई,बलवन्त विलास,सती राखौ,छंद मयूख,राम रंजाट|

कन्हैयालाल सेठिया (चुरू) पातळ एवं पीथळ, धरती धोरां री, लीलटांस, रमणियां रा सोरठा, गळगचिया, मींझर, कूंकंऊ , नीग्रंथ ।

कन्हैया लाल सेठिया द्वारा रचित पाथल और पीथल लोकप्रिय व वीर रस पर आधारित है प्रताप पृथ्वीराज राठौड़ के संवाद का वर्णन किया गया है

यादवेन्द्र शर्मा (चन्द्र

  • उपन्यास हूँ गोरी किण बीवरी. खम्मा अन्नदाता, मिट्टी का कलंक, जनानी ड्योढी , हजार घोड़ों का सवार ,ताश रो घरमेहंदी के फूल |
  • यादवेंद्र शर्मा ने राजस्थान के सामंती अतीत पर पुस्तके लिखें |

मणि मधुकरउपन्यास – पगफैरों, सुधि सपनों के तीर, सफेद मेमने,रसगंधर्व (नाटक), खेला पालेमपुर (नाटक)

रांगेय राघव –   घरोंदे,  मुर्दों का टीला मोहनजोदड़ो , कब तक पुकारूं, आखिरी आवाज , काका

विजयदान देथा (बिज्जी)  – उपन्यास – दुविधा (प्रथम फिल्म), टिडो राव [H1] , मां रो लाडलो,लाजवंती, सपन प्रिया,अंतरालमां रौ बदलौ। कहानियाँ- अलेखु हिटलर, बाताँ री फुलवारी ।

नारायण सिंह भाटी  – कविता संग्रह – साँझ, दुर्गादास, परमवीर, ओल्युं , मीरा, बरसा रा डिगोडा  डूंगर लाँघिया ।

श्री लाल नथमल जोशी  – आभैपटकी, एक बीनणी दो बींद, धोरा री  धोरी , पड्योड़ी कुंवारी , सबड़का , मैं  दी कनीर अर गुलाब ।

राजस्थान के प्रमुख साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ राजस्थान

स्व. हमीदुल्ला –  नाटक दरिन्दे, ख्याल, भारमली एक मुछा और इनका नवम्बर, 2001 में निधन हो गया।

लक्ष्मी कुमारी चूडावत मँझली रात, मूमल, बाघो भारमली, कै रे चकवा बात , टाबरां  री  बातां , ऊँचा गढ़ा , गिर ऊँचा |

रेवतदान चारण – नेहरू न ओळमो , बरखा बींनणी |

  • रेवतदान चारण ने सामंतो के शोषण के विरुद्ध लिखा था |

शिवचन्द भरतिया  कनक सुन्दरी, केसर विलास, विश्रांत प्रवास |

चंद्रसिंह बिरकाळी – लू, डाफर, बादली, कालजे री कौर,साँझ , बाल्साद , कह मुकुरनी , मेघदूत

  • चंद्रसिंह बिरकाली की कृतियों में प्रकृति  का अत्यधिक चित्रण किया  है

चन्द्रप्रकाश देवल –  पागी, बोलो माधवी ।

मेघराज मुकुलसैनाणी ।

सीताराम लालसराजस्थानी शब्दकोष|

चन्द्रधर शर्मा गुलेरी  – “उसने कहा था

सत्यप्रकाश जोशीराधा- युद्ध विरोधी काव्य ( महाभारत का युद्ध रोकने के लिए) , बोल भारमली (महिला सशक्तिकरण) |

जहूर खां  मेहर – राजस्थानी संस्कृति रा चितराम , अर्जुन आली आंख , घर मंगला घर कोसा |

कर्नल जेम्स टॉड1829 ई. में Annals and antiquities of Rajasthan’ (Western an Northers Rajpoot States of India) ग्रन्थ लिखा तथा 1839 ई. में ‘Travels in Western India’ की रचना की। इन्हें राजस्थान के इतिहास लेखन का पितामहकहा जाता है।

एल.पी. तेस्सितोरी इटली में 1887 में जन्मे तेस्सितोरी जुलाई, 1914 में राजस्थान आये। बीकानेर इनकी कर्मस्थली रहा। बीकानेर का प्रसिद्ध म्यूजियम इन्हीं की देन है। बीकानेर महाराजा गंगासिंह जी ने इन्हें राजस्थान के चारण साहित्य के सर्वेक्षण एवं संग्रह का कार्य सौंपा था, जिसे पूर्ण कर इन्होंने अपनी रिपोर्ट दी तथा राजस्थानी चारण साहित्य- एक ऐतिहासिक सर्वे तथा पश्चिमी राजस्थानी व्याकरण नामक पुस्तकें लिखीं।

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 [H1]राजस्थानी की प्रथम जेब में रखने लायक पुस्तक,

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