नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम पढ़ेंगे राजस्थान के प्रतीक | Rajasthan ke Partik के बारे में | राजस्थान में होने वाले एग्जामस में rajasthan gk में समान्यतय राजस्थान के प्रतीक | Rajasthan ke Partik से प्रश्न पूछे जाते है |
राजस्थान के प्रतीक | Rajasthan ke Partik
राजस्थान का राज्य पशु
- राज्य पशु – चिंकारा , ऊंट
- चिंकारा को राज्य पशु का दर्जा 1981 को दिया गया
- चिंकारा वैज्ञानिक नाम गजेला गजेला
- चिंकारा एसटीलोप प्रजाति का मुख्य जिव है |
- चिंकारा को छोटा हिरन उपनाम से जाना जाता है
- चिंकारा नाम से एक वाध्य यंत्र है जो की तत वाद्य है
- चिंकारा के लिए जयपुर का नाहरगढ़ अभ्यारण्य प्रशिद्ध है
- ऊंट को 2014 राजस्थान राज्य पशु घोषित किया गया
राजस्थान का राज्य पक्षी
- राज्य पक्षी – गोडावण
- गोडावण का वैज्ञानिक नाम –क्रायोटीस नाइग्रीसेट्रस
- गोडावण को राज्य पक्षी का दर्जा – 1981 में दिया गया
- गोडावण का अंग्रेजी नाम – ग्रेट इंडियन बस्टर्ड
- गोडावण का उपनाम – सोहन चिड़िया और शर्मिला पक्षी
- गोडावण को शोरशन बारां (हाड़ोती ) में माल मोरडी के नाम से भी जाना जाता है
- गोडावण के अन्य नाम – हुकमा , तुक्दर , बड़ा तिलोर , गुछ्नमेर,
- गोडावण राज्य में तीन जगह ज्यदा देखा जाता है मरु उद्यान,सोकलिया (अजमेर), शोरशन (बारां)
- गोडावण के प्रजनन के लिए जोधपुर जन्तुआलय प्रशिद्ध है
- गोडावण मूलतः अफ्रीका का पक्षी है
- गोडावण का उपरी भाग नीला होता है
- गोडावण की कुल ऊंचाई 4 फिट होती है
- गोडावण का प्रजनन काल – अक्टुबर नवम्बर का महिना है
राजस्थान का राज्य पुष्प
- राज्य पुष्प – रोहिड़ा
- रोहिड़ा को राज्य पुष्प का दर्जा 1983 में दिया गया
- रोहिड़ा का वनस्पतिक नाम टिकुमेला अडूलेटा
- रोहिड़ा राज्य में सर्वाधिक पश्चिमी क्षेत्र में देखा जा सकता है
- रोहिड़ा को राजस्थान के सागवान के नाम से भी जाना जाता है
- जोधपुर में रोहिड़ा के पूष्प को मारवाड़ टोका के नाम से भी जाना जात है
- रोहिड़ा के पूष्प मुख्यतः मार्च अप्रैल के महीने में खिलते है
- रोहिड़ा पूष्प का रंग गहरा केसरिया हिरमिच पीला है
राजस्थान का राज्य वृक्ष
- राज्य वृक्ष – खेजड़ी
- खेजड़ी को राज्य वृक्ष का दर्जा 1983 में दिया गया
- खेजड़ी का वानस्पतिक नाम – प्रोसेपिस सिनेरया(Prosopis cineraria)
- खेजड़ी के उपनाम – थार का कल्प वृक्ष,थार का वृक्ष, राजस्थान का गौरव
- खेजड़ी वृक्ष सर्वाधिक शेखावाटी क्षेत्र में दिखते जाते है
- खेजड़ी के सर्वाधिक वृक्ष – नागौर जिले में
- खेजड़ी वृक्ष की पूजा – विजया दशमी (दशहरा ) पर की जाती है
- खेजड़ी वृक्ष को विश्नोई सम्प्रदाय के लोग शम्मी तथा हरियाणवि व् पंजाबी में जांटी नाम से भी जाना जाता है
- खेजड़ी वृक्ष को कन्नड़ भाषा में बन्ना बन्नीकहा जाता है तमिल में पेयमेय तथा सिन्धी भाषा में धोकड़ा आदि नामो से जाना जाता है
- खेजड़ी की हरी फलियों को सांगरी कहते है जो की सब्जी बनाने के काम आती है
- खेजड़ी की सुखी फलियों को खोखा कहते है जो की खाने के काम आती है
- खेजड़ी की पतियों को लूम/लुंग कहा जाता है जो की पशुओ के चारे के काम आती है
- पांड्वो ने अज्ञात वास के समय अपने अस्त्र शस्त्र खेजड़ी पर ही छुपाये थे
- वैज्ञनिको ने खेजड़ी वृक्ष की आयु 5000 वर्ष मानी है
- राजस्थान में अब तक के सब से प्राचीन खेजड़ी के वृक्ष अजमेर के मांगलियावास मिले है जिनकी आयु 1000 वर्ष मणि जाती है
खेजड़ी से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- खेजड़ी को स्थानीय भाषा में सिमलो नाम से भी जाना जाता है
- खेजड़ी वृक्ष को नुकसान पहुचाने वाले कीड़े – सेलेस्ट्रेना व् गलाईकोट्रमा
- खेजड़ी वृक्षों के लिए सर्वप्रथम बलिदान अमृता देवी द्वारा 1730 में दिया गया (अमृता देवी ने यह बलिदान 363 लोगो के साथ जोधपुर के खेजडली गांव में भाद्र शुक्ल पक्ष की दशमी को दिया था अमृता देवी रामो जी विश्नोई की पत्नी थी विश्नोई सम्प्रदाय में दिया गया बलिदान साका/खडान कहलाता है इस बलिदान के समय जोधपुर का शासक अभय सिंह था अभय सिंह के आदेश पर उसके हाकिम गिरधर दास के द्वारा 363 लोगो की हत्या की गयी )
- भाद्र शुक्ल पक्ष दशमी को विश्व का सबसे बड़ा वृक्ष मेला खेजडली जोधपुर में लगता है
- 12 सितम्बर को प्रतिवर्ष खेजडली दिवस मनाया जाता है
- प्रथम खेजडली दिवस 1978 को मनाया गया
- वन्य जीवो की सुरक्षा हेतु अमृता देवी पुरष्कार दिया जाता है अमृता देवी पुरष्कार की शुरुआत 1994 में की गयी थी
- अमृता देवी पुरष्कार के तहत संस्था को 50000(पचास हजार ) तथा व्यक्ति को 25000(पचीस हजार) रूपये दिए जाते है
- प्रथम अमृता देवी पुरष्कार पाली जिले के गंगाराम विश्नोई को दिया गया |
राजस्थान का राज्य खेल
- राज्य खेल – बास्केटबॉल
- बास्केटबॉल को राज्य खेल का दर्जा – 1948 में मिला
राजस्थान का राज्य गीत
- राज्य गीत – केसरिया बालम पधारो म्हारे देश
- केसरिया बालम पधारो म्हारे देश गीत को सर्वप्रथम उदयपुर की मांगी बाई द्वारा गाया गया था
- केसरिया बालम पधारो म्हारे देश गीत को बीकानेर की अल्ला जिल्ला बाई द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गाया गया था
- केसरिया बालम पधारो म्हारे देश गीत मान्ड गायकी में गाया जाता है
राजस्थान का राज्य नृत्य
- राज्य नृत्य – घूमर
- घूमर को “राजस्थान की आत्मा ” कहा जाता है
- राजस्थान का शास्त्रीय नृत्य – कत्थक
- राजस्थान में कत्थक के जन्मदाता – भानूजी महाराज
- राजस्थान में कत्थक का प्रमुख घराना – लखनऊ
- कत्थक “उत्तरी भारत ” का प्रमुख नृत्य है
Other Topic Important Links
Science More Important Topics you can click here
Hindi More Important Topics you can read here
Rajasthan GK More Important Topics click here
Psychology More Important Topics you can read here
Now you Learnt about राजस्थान के प्रतीक | Rajasthan ke Partik