नमस्कार दोस्तों ! आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आये है 10th Science Chapter 5 Notes in Hindi तत्वों का आवर्त वर्गीकरण.
इस पोस्ट में विज्ञान के महत्वपूर्ण Chapter -5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण | Periodic Classification of Elements के बारे में जानकारी दी गयी है | कक्षा 10 वी की परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण Chapter है | यह कक्षा 10 वी साइंस का Chapter – 5 “तत्वों का आवर्त वर्गीकरण” है |
10th Science Chapter 5 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण Notes in Hindi
तत्वों का वर्गीकरण (Classification of Elements)
आवर्त सारणी के जनक – मेंडेलीफ
- अब तक 114 तत्वों की खोज हो चुकी है |
- अधिक संख्या में तत्वों की उपस्थिति के कारण प्रत्येक तत्वों के गुणों का अध्ययन असुविधाजनक था |
- इस कारण वैज्ञानिकों को तत्वों के वर्गीकरण की आवश्यकता महसूस हुई थी |
- ताकि एक ही तत्व के गुण ज्ञात होने पर समान वर्ग वाले तत्वों के गुणों का स्वत ही पता चल जाए |
आवर्त सारणी को चार उपकोशो (ब्लॉक समूहों) में बांटा गया है –
S – block
D – block
P – block
F – block
S – ब्लॉक के तत्व
वर्ग – 1 – क्षारीय धातु = +1
वर्ग – 2 – क्षारीय मृदा धातु = +2
ऑक्सीकरण संख्या –
क्षारीय मृदा धातु = +2
क्षारीय धातु = +1
1. S – Block
(i) वर्ग संख्या – 1 (क्षारीय धातु)
तत्व | Trick |
H | हे |
Li | ली |
Na | ना |
K | करे |
Rb | रब |
Cs | से |
Fr | फरियाद |
(ii) वर्ग संख्या – 2 (क्षारीय मृदा धातु)
तत्व | Trick |
Be | बेटा |
Mg | मांगे |
Ca | कार |
Sr | स्कूटर |
Ba | बाप |
Ra | रोए |
2. D – Block
इस ब्लॉक में चार श्रेणी होती है –
(i) 21 – 30 → 3D श्रेणी
(ii) 39 – 48 → 4D श्रेणी
(iii) 57 – 80 → 5D श्रेणी
(iv) 89 – 112 → 6D श्रेणी
(वर्ग संख्या 3 से12 तक)
(i) 21 – 30 → 3D श्रेणी
तत्व | Trick |
Sc | साइंस |
Ti | टीचर |
V | विनीता |
Cr | को |
Mn | मांगी |
Fe | फीस |
Co | को |
Ni | नी |
Cu | कॉपर |
Zn | जिंक |
(ii) 39 – 48 → 4D श्रेणी
तत्व | Trick |
Y | यू |
Zx | जुल्फें |
Nb | ना |
Mo | मरोड |
Tc | तू |
Ru | रुबी |
Rh | रोड |
Pd | पर |
Ag | आ |
Cd | के |
(iii) 57 – 80 → 5D श्रेणी
तत्व | Trick |
La | ले |
Hf | हाफ |
Ta | टेबलेट |
Wo | वो |
Re | रेड |
Os | ऑरेंज |
Ir | इधर |
Pt | पड़ा |
Au | आलू |
Hg | हलवा |
(iv) 89 – 112 → 6D श्रेणी
तत्व | Trick |
Ac | ऐसे |
Rf | रदरफोर्डियम नहीं |
Db | डूबा |
Sg | सगे |
Bh | भाई |
Hs | हंस |
Mt | मत |
Ds | दस |
Rg | रोग और |
Cn | उगेंगे |
3. P – Block
(वर्ग संख्या 13 से 18 तक)
(i) वर्ग संख्या 13 के तत्व
तत्व | Trick | |
B | बिना | बैंगन |
Al | इलायची | आलू |
Ga | गर्म | गाजर |
In | इंडियन | इन |
Tl | टी | थैला |
(ii) वर्ग संख्या 14 के तत्व
तत्व | Trick | |
C | का | कहे |
Si | शी | शिव |
Ge | गए | जी |
Sn | शंकर | सुने |
Pb | प्रभु | पार्वती |
(iii) वर्ग संख्या 15 के तत्व
तत्व | Trick | |
N | नेपाल | नाना |
P | पाकिस्तान | पाटेकर |
As | ऑस्ट्रेलिया | आज |
Sb | सब | सबसे |
Bi | बीके | बिछुड़े |
(iv) वर्ग संख्या 16 के तत्व
तत्व | Trick | |
O | ओ | ओ |
S | स्टाइल | सलमा |
Se | से | सिलेगी |
Te | टी | तेरी |
Po | पो | पॉकेट |
(v) वर्ग संख्या 17 के तत्व
तत्व | Trick |
F | फिर |
Cl | कल |
Br | बाहर |
I | आई |
At | आंटी |
(vi) वर्ग संख्या 18 के तत्व
तत्व | Trick | |
He | हेडन | हीरा |
Ne | ने | नीलम |
Ar | अगरकर | और |
Kr | को | कीटोन |
Xe | जीरो | जैसे |
Rn | रन पर आउट किया | रतन |
4. F – Block
(i) लैंथेनाइड श्रेणी –
तत्व | Trick |
Se | सिर |
Pr | पर |
Nd | नदी |
Pm | पांव में |
Sm | समुंदर |
Eu | यूरोप |
Gd | गए |
Tb | तब |
Dy | दिन |
Ho | हो गए |
Er | इक्कीस |
Tm | तुम्हारी |
Yb | याद |
Lu | लौटी |
(ii) एक्टिनॉयड श्रेणी –
तत्व | Trick |
Th | था |
Pa | पागल |
U | यू |
Np | नहीं |
Pu | पहुंचा |
Am | अमृतसर |
Cm | सेम |
Bk | बीकानेर |
Cf | सिर्फ |
Es | इसलिए |
Fm | फैमिली |
Md | मेडिसीन |
No | नहीं |
Lr | लाए |
डाॅबेराइनर का त्रिक नियम
डाॅबेराइनर ने एक समान गुणों वाले तत्वों को तीन–तीन के समूहों में परमाणु भार के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया, जिन्हें डाॅबेराइनर त्रिक कहा जाता है।
सन 1817 में वुल्फगांग डाॅबेराइनर नामक वैज्ञानिक ने तीन तीन तत्वों के ऐसे समूह बनाएं जिनके मध्य में उपस्थित तत्वों का परमाणु भार व गुण दोनों तत्वों के मध्य के थे | इस नियम को डाॅबेराइनर का त्रिक नियम कहते हैं।
अथवा
“इस नियम के अनुसार पहले व अंतिम तत्वों के परमाणु भार का योग और औसत परमाणु भार , बीच वाले तत्व के परमाणु भार के बराबर होता है” इस नियम को डाॅबेराइनर का त्रिक का नियम कहते हैं।
Example –
(i) Li = 7 , Na = 23 , K = 39
39 + 7/2 = 46/2 = 23
(ii) Cl = 35.5 , Br = 80 , I = 127
35.5 + 127/2 = 80.25
(iii) Ca = 40 , Sr = 88 , Ba = 137
40 + 137/2 = 177/2 = 88.5
डाॅबेराइनर के त्रिक नियम की कमियां
- इस सिद्धांत के अनुसार केवल कुछ ही तत्वों को त्रिक समूहों में वर्गीकृत किया जा सका |
- इस सिद्धांत के अनुसार केवल तीन ही त्रिक सम्भव हो पाए है |
न्यूलैंड्स का अष्टक नियम
न्यूलैंड्स नामक वैज्ञानिक में 1866 में वर्गीकरण हेतु अष्टक नियम का प्रतिपादन किया | इस नियम के अनुसार जिस तरह संगीत में आठवां सुर पहले सुर के समान होता है | उसी तरह तत्वों का वर्गीकरण इस प्रकार किया गया कि आठवां तत्व पहले तत्वों से समानता रखता था |
इस सिद्धांत के आधार पर अभी तक ज्ञात तो को वर्गीकृत नहीं किया जा सका | न्यूलैंड्स ने तत्वों को परमाणु भार के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया और पाया कि किसी भी तत्वों के गुण अपने से आगे आने वाले आठवें तत्वों से उसी प्रकार समान है, जिस प्रकार संगीत के स्वर होते हैं |
संगीत के स्वर –
सा रे गा मा पा धा नि सा
उस समय तक अक्रिय गैसों (Noble gas) की खोज नहीं हुई थी |
हिलियम(He), नियॉन(Ne), आर्गन(Ar), क्रिप्टोन(Kr), जिनोन(Xe), रेडोंन(Rn)
परमाणु भार (द्रव्यमान) को वर्गीकरण का आधार बनाया गया था।
न्यूलैंड्स के अष्टक नियम की सीमाएँ
- एक निश्चित अंतराल के बाद तत्वों के गुणों की पुनरावृत्ति को पहली बार मान्यता प्राप्त की गई थी |
- परमाणु भार को वर्गीकरण का आधार बनाया गया था |
- न्यूलैंड्स के अनुसार प्रकृति में केवल 56 तत्व विद्यमान हैं |
- न्यूलैंड्स का अष्टक का सिद्धांत केवल कैल्सियम (Ca) तक ही लागू होता था, क्योंकि Ca के बाद प्रत्येक आठवें तत्व के गुणधर्म पहले तत्व के गुणधर्म से नहीं मिलता है |
- न्यूलैंड्स का अष्टक सिद्धांत केवल हल्के तत्वों के लिए ठीक से लागू हो पाया है |
मोजले का आवर्त नियम –
“इस नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक व रासायनिक गुण परमाणु क्रमांक (Z) के आवर्ती फलन होते हैं” यही मोजले का आवर्त नियम है |
Note – मोजले की आवर्त सारणी को “आधुनिक आवर्त सारणी“ के नाम से भी जाना जाता है |
आधुनिक आवर्त सारणी की विशेषता –
- मोजले की आवर्त सारणी के अनुसार इसमें कुल 18 वर्ग होते हैं |
- मोजले की आवर्त सारणी के अनुसार इसमें 7 आवर्त होते हैं |
वर्ग संख्या (Class Number) –
(1) I A वर्ग –
तत्व | Trick |
H | हे |
Li | ली |
Na | ना |
K | करे |
Rb | रब |
Cs | से |
Fr | फरियाद |
(i) संयोजी बाहृय कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – ns1
(ii) इन तत्वों को क्षारीय धातु कहते हैं
(2) II A वर्ग –
तत्व | Trick |
Be | बेटा |
Mg | मांगे |
Ca | कार |
Sr | स्कूटर |
Ba | बाप |
Ra | रोए |
(i) संयोजी बाहृय कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – ns2
(ii) इन तत्वों को क्षारीय मृदा धातु कहते हैं
(3) III A वर्ग (वर्ग संख्या 13) –
तत्व | Trick | |
B | बिना | बैंगन |
Al | इलायची | आलू |
Ga | गर्म | गाजर |
In | इंडियन | इन |
Tl | टी | थैला |
(i) संयोजी बाहृय कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – ns2,np1
(ii) इन्हें बोरोन परिवार के तत्व भी कहते है |
(4) IV A वर्ग (वर्ग संख्या 14) –
तत्व | Trick | |
C | का | कहे |
Si | शी | शिव |
Ge | गए | जी |
Sn | शंकर | सुने |
Pb | प्रभु | पार्वती |
(i) संयोजी बाहृय कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – ns2,np2
(ii) इन्हें कार्बन परिवार के तत्व भी कहते हैं |
(5) V A वर्ग (वर्ग संख्या 15) –
तत्व | Trick | |
N | नेपाल | नाना |
P | पाकिस्तान | पाटेकर |
As | ऑस्ट्रेलिया | आज |
Sb | सब | सबसे |
Bi | बीके | बिछुड़े |
(i) संयोजी बाहृय कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – ns2,np3
(ii) इन्हें निकोजन कहते हैं |
(iii) इसे नाइट्रोजन परिवार के तत्व भी कहा जाता है |
(6) VI A वर्ग (वर्ग संख्या 16) –
तत्व | Trick | |
O | ओ | ओ |
S | स्टाइल | सलमा |
Se | से | सिलेगी |
Te | टी | तेरी |
Po | पो | पॉकेट |
(i) संयोजी बाहृय कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – ns2,np4
(ii) इसे चेलकोजल कहते है |
(iii) इन्हें ऑक्सीजन परिवार के तत्व भी कहा जाता है |
(7) VII A वर्ग (वर्ग संख्या 17) –
तत्व | Trick |
F | फिर |
Cl | कल |
Br | बाहर |
I | आई |
At | आंटी |
(i) संयोजी बाहृय कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – ns2,np5
(ii) इन्हें हैलोजन परिवार भी कहते हैं |
(8) VIII A वर्ग (वर्ग संख्या 18) –
तत्व | Trick | |
He | हेडन | हीरा |
Ne | ने | नीलम |
Ar | अगरकर | और |
Kr | को | कीटोन |
Xe | जीरो | जैसे |
Rn | रन पर आउट किया | रतन |
(i) संयोजी बाहृय कोश का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – ns2,np6
(ii) इन्हें की अक्रिय गैंसे, उत्कृष्ट गैंसे तथा शून्य वर्ग की गैंसे भी कहा जाता है |
आवर्त संख्या (Periodic Number) –
1. प्रथम आवर्त –
- प्रथम आवर्त को अति लघु आवर्त कहते हैं |
- प्रथम आवर्त का अर्थ – “प्रथम ऊर्जा स्तर”
- कुछ तत्वों की संख्या – 2 (Kकोश)
2. द्वितीय आवर्त –
- दूसरे आवर्त को लघु आवर्त कहा जाता है |
- द्वितीय आवर्त का अर्थ – द्वितीय ऊर्जा स्तर – L कोश
- द्वितीय आवर्त में कुल तत्वों की संख्या – 8
3. तृतीय आवर्त –
- तीसरे आवर्त को भी लघु आवर्त कहा जाता है |
- तृतीय आवर्त का अर्थ – तृतीय ऊर्जा स्तर – M कोश
- तृतीय आवर्त में कुल तत्वों की संख्या – 8
4. चौथा आवर्त –
- चौथे आवर्त को दीर्घ आवर्त कहा जाता है |
- कुल तत्वों की संख्या – 18
5. पाँचवा आवर्त –
- पाँचवे आवर्त को भी दीर्घ आवर्त कहा जाता है |
- कुल तत्वों की संख्या – 18
6. छठा आवर्त –
- छठवें आवर्त को अति दीर्घ आवर्त कहा जाता है |
- तत्वों की कुल संख्या – 32 होगी
- इसे 4f आंतरिक श्रेणी या लैंथेनाइड श्रेणी भी कहते है |
- यह सीरियम (Ce – 58) से ल्यूटिशियम (Lu – 71) तक
7. सातवा आवर्त –
- सातवा आवर्त एक अपूर्ण दीर्घ आवर्त है |
मेंडेलीफ की आवर्त सारणी
- मेंडेलीफ की आवर्त सारणी की मे 9 ऊर्ध्वाधर स्तंभ थे जिन्हें वर्ग कहा गया |
- इन्हें रोमन संख्या के अनुसार अंक दिए गए तथा लास्ट वर्ग शून्य वर्ग होगा |
- 1 से 7 तक के वर्ग A एवं B दो वर्गों में विभाजित हुए |
- आठवें वर्ग को तीन उपवर्गों में बांटा गया है |
- इसके 3 – 3 के समूह मे नौ तत्व रखे गए |
- इस सारणी में 7 से क्षैतिज पंक्तियां थी, जिन्हें आवर्त कहा गया |
- किसी तत्व की वर्ग संख्या उसकी संयोजकता के बराबर एवं आवर्त संख्या के संयोजी कोश के मुख्य क्वांटम संख्या के बराबर थी |
- इस सारणी के तत्वों को परमाणु भार के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित किया जाता है |
मेंडेलीफ का आवर्त नियम
“इस नियम के अनुसार तत्वों के भौतिक व रासायनिक गुण उनके परमाणु भार के आवर्ती फलन होती हैं” यही मेंडलीफ का आवर्त नियम है |
मेंडेलीफ की आवर्त सारणी की कमियां
1. परमाणु भार के बढ़ते क्रम का उल्लंघन –
(i) Ar39.9 → K39.1
अमीर → खान (Trick)
(ii) Te127.6 → I126.9
तेरी → इच्छा (Trick)
(iii) Th232 → Pa231
ठंडी → पेप्सी की (Trick)
(iv) Co58.9 → Ni58.7
क्यों → नहीं (Trick)
2. हाइड्रोजन की स्थिति अस्पष्ट थी |
3. समस्थानिक को स्थान नहीं दिया गया |
4. लैंथेनाइड व एक्टिनाइड श्रेणी को स्थान नहीं दिया गया |
मेंडेलीफ की आवर्त सारणी में उपयोगिता
1. परमाणु भारों के संशोधन में –
परमाणु भार = संयोजकता xतुल्यांकी भार
संयोजकता तुल्यांकी भार
पहले – (13.5) Be → 3 x 4.5
बाद में – (9) Be → 2 x 4.5
2. परमाणु भार के सही निर्धारण में –
U Be I Au Pt
यूं बेईमान इंसान और पीट (Trick)
3. नए तत्वों की खोज का निर्धारण –
मेंडेलीफ ने अपनी आवर्त सारणी में कुछ तत्वों के लिए रिक्त स्थान जोड़ें और कहा कि उनकी खोज अभी शेष है |
Ga Se Ge Tc
गंगा से जमुना तक (Trick)
आवर्त सारणी के तत्वों का ब्लॉक में वर्गीकरण –
तत्वों को 4 ब्लॉको में बांटा गया है |
1. S – Block
2. P – Block
3. D – Block
4. F – Block
S – Block –
Defination of S – Block – वे तत्व जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन S उपकोश में भरा होता है, S ब्लॉक के तत्व कहलाते है |
- आवर्त सारणी में इन्हें IA व IIA वर्ग में रखा गया है |
- IA वर्ग – क्षारीय धातु (कुल तत्व – 6)
- IIA वर्ग – क्षारीय मृदा धातु (कुल तत्व – 6)
P – Block –
Defination of P – Block – वे तत्व जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन p उपकोश में भरा जाता है, उन्हें p ब्लॉक के तत्व कहते हैं |
- आवर्त सारणी में वर्ग संख्या 13 से 18 तक
- P – Blockके 13 वें, 14 वें तथा 15 वें वर्ग के तत्व अपेक्षाकृत कम क्रियाशील होते है |
- संपूर्ण P – Block के तत्वों व S – Block के तत्वों को सम्मिलित रूप से मुख्य वर्ग के तत्व या निरूपक तत्व या प्रारूपिक तत्व कहते हैं |
D – Block –
Defination of D – Block – वे तत्व जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन d उपकोश में भरा जाता है, D – Block के तत्व कहलाते है |
- वर्ग संख्या 3 से 12 तक के तत्व
- तत्वों की संख्या – 40 तत्व
- श्रेणियां – 3D श्रेणी, 4D श्रेणी, 5D श्रेणी, 6Dश्रेणी
3D श्रेणी –
इसमें अंतिम इलेक्ट्रॉन 3 d उपकोश में भरा जाता है |
21 से 30 तक तत्व
तत्व | Trick |
Sc | साइंस |
Ti | टीचर |
V | विनीता |
Cr | को |
Mn | मांगी |
Fe | फीस |
Co | को |
Ni | नी |
Cu | कॉपर |
Zn | जिंक |
4D श्रेणी –
इसमें अंतिम इलेक्ट्रॉन 4 d उपकोश में भरा जाता है |
39 से 48 तक
तत्व | Trick |
Y | यू |
Zx | जुल्फें |
Nb | ना |
Mo | मरोड |
Tc | तू |
Ru | रुबी |
Rh | रोड |
Pd | पर |
Ag | आ |
Cd | के |
5D श्रेणी –
इसमें अंतिम इलेक्ट्रॉन 5 d उपकोश में भरा जाता है |
57 से 80 तक
तत्व | Trick |
La | ले |
Hf | हाफ |
Ta | टेबलेट |
Wo | वो |
Re | रेड |
Os | ऑरेंज |
Ir | इधर |
Pt | पड़ा |
Au | आलू |
Hg | हलवा |
- सिक्का धातु वर्ग – कॉपर (Cu), सिल्वर (Ag), ओरम (Au)
- चुंबकीय आघूर्ण – nÖ(n-1) बोर मैग्नेट
- यहां – n अयुग्मित इलेक्ट्रॉन की संख्या है |
6D श्रेणी –
इसमें अंतिम इलेक्ट्रॉन 6d उपकोश में भरा जाता है |
89 से 112 तक
तत्व | Trick |
Ac | ऐसे |
Rf | रदरफोर्डियम नहीं |
Db | डूबा |
Sg | सगे |
Bh | भाई |
Hs | हंस |
Mt | मत |
Ds | दस |
Rg | रोग और |
Cn | उगेंगे |
F – Block –
Defination of F – Block – वे तत्व जिनमें अंतिम इलेक्ट्रॉन f उपकोश में भरा जाता है, F – Block के तत्व कहलाते हैं |
लैंथेनाइड श्रेणी –
लेन्थेनम के बाद आने वाले 14 तत्व जिनके गुण लेन्थेनम के समान है, लैंथेनाइड कहलाते है |
- 4 f श्रेणी = इन्हे आवर्त सारणी के 6 वें आवर्त में रखा गया है |
- La – 57 से Lu – 71 तक
- लैंथेनाइड तत्वों को आंतरिक संक्रमण तत्व भी कहते हैं |
- इन्हें दुर्लभ मृदा तत्व या धातुएँ भी कहा जाता है |
तत्व | Trick |
Se | सिर |
Pr | पर |
Nd | नदी |
Pm | पांव में |
Sm | समुंदर |
Eu | यूरोप |
Gd | गए |
Tb | तब |
Dy | दिन |
Ho | हो गए |
Er | इक्कीस |
Tm | तुम्हारी |
Yb | याद |
Lu | लौटी |
एक्टिनाइड श्रेणी –
एक्टिनियम के बाद आने वाले 14 तत्व जिनके गुण एक्टिनियम के समान है, एक्टिनाइड कहलाते हैं |
- 5 f श्रेणी = आवर्त सारणी के 7 वें आवर्त में रखा गया है |
- थोरियम (Th – 90) से लौरेंशियम (Lr – 103) तक
- एक्टिनाइड तत्वों को अंत संक्रमण तत्व भी कहा जाता है |
तत्व | Trick |
Th | था |
Pa | पागल |
U | यू |
Np | नहीं |
Pu | पहुंचा |
Am | अमृतसर |
Cm | सेम |
Bk | बीकानेर |
Cf | सिर्फ |
Es | इसलिए |
Fm | फैमिली |
Md | मेडिसीन |
No | नहीं |
Lr | लाए |
धातु (Metals)
- वह तत्व जो आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाते हैं, धातु कहलाते हैं |
- धातुएं ठोस, तन्य व आघातवर्धनीयता होती है |
- धातुएं आवर्त सारणी में बायीं तरफ s, p, d, f चारों ब्लॉकों में रखी गई है |
अधातु (Non – Metals)
- वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋण आयन बनाते हैं, अधातु कहलाते हैं |
- इन्हें आवर्त सारणी में p – ब्लॉक में दायीं तरफ रखा गया है |
धातु एवं अधातु में अंतर
धातु | अधातु |
1. धातुएं सामान्यतः ठोस होती है | इसके अतिरिक्त गैलियम सीजीयम और मरकरी द्रव अवस्था में पाई जाने वाली धातु है | | 1. अधातु सामान्यतः ठोस गैस अवस्था में होती है | ब्रोमीन द्रव अवस्था में पाई जाती है | |
2. इनके गलनांक सामान्यतः उच्च होते हैं | लेकिन गैलियम व सीजीयम का गलनांक कम होता है | | 2. इसका गलनाक व क्वथनांक सामान्यतः कम होता है |लेकिन बोरोन कार्बन व नाइट्रोजन का गलनाक उच्च होता है | |
3. आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर धात्विक लक्षण में कमी आती है | | 3. आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर अधात्विक लक्षणों में वृद्धि होती है | |
4. वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर धात्विक लक्षण में वृद्धि होती है | | 4. ऊपर से नीचे जाने पर अधात्विक लक्षणों में कमी होती है | |
5. यह इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाते हैं | | 5. यह इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणाआयन बनाते हैं | |
उपधातु (Metalloids)
- वे तत्व जो धातु और अधातु दोनों के गुण या व्यवहार को दर्शाते हैं, उपधातु कहलाती है |
- आवर्त सारणी में कुल उपधातुओं की संख्या – 7
B Si Ge As Sb Te Po
बोले शिव जी आज सब टी पो (Trick)
- आवर्त सारणी में कुल गैसीय तत्व – He, Ne, Ar, Kr, Xe, Rn, Fr, Cl2, O2, N2, H2
- ब्रोमीन एकमात्र द्रव अधातु है |
- गैलियम (Ga), मर्करी (Hg), Cs, Fr द्रव धातु है |
- यूरेनियम के बाद आने वाले सभी तत्व परा यूरेनियम तत्व कहलाते हैं |
प्रतिनिधि तत्व (Representative Elements)
P – ब्लॉक के सभी तत्व शिवाय शून्य गैस के प्रतिनिधि तत्व कहलाते हैं |
इसे REसे व्यक्त करते है |
Example – सोडियम (Na), क्लोरीन (Cl), एल्युमीनियम (Al)
प्रारूपी तत्व (Typical Element)
दूसरे व तीसरे आवर्त के सभी तत्व शिवाय शून्य गैस के प्रारूप तत्व कहलाते हैं |
New – तीसरे आवर्त के तत्व शिवाय शून्य गैस के
इसे TEसे व्यक्त करते है |
सेतु तत्व (Brize Element)
तीसरे आवर्त के तत्व शिवाय शून्य गैस के सेतु तत्व कहलाते हैं |
इसे BEसे व्यक्त करते है |
S – ब्लॉक का प्रचलित नाम
IA वर्ग – क्षारीय धातु (Alkali Metal)
IIA वर्ग – क्षारीय मृदा धातु (Alkalinr earth Metal)
Alkali का अर्थ – Plant Ash / पेड़ पौधों की राख (लैटिन शब्द)
P – ब्लॉक का प्रचलित नाम
वर्ग संख्या – 13 → बोरोन परिवार
class number – 14 → कार्बन परिवार
वर्ग संख्या – 15 → नाइट्रोजन परिवार
इसे निकोजन (Nicogen) भी कहते हैं |
gen का अर्थ – उत्पन्न करना
निकोजन – दम घोटने वाली गंध
Example –
NH3 – तीक्ष्ण गंध
PH3 – सड़े चूहे की गंध
AsH3 – लहसुन जैसी गंध
वर्ग संख्या – 16 → ऑक्सीजन परिवार
इसे चेलकोजन (Chalcogen) भी कहते हैं |
चेलकोजन का अर्थ – अयस्क उत्पन्न
वर्ग संख्या – 17 → हैलोजन परिवार → लवण उत्पन्न
वर्ग संख्या – 18 → शून्य वर्ग समूह
अन्य नाम – अक्रिय गैंस (Inert Gas), दुर्लभ गैस (Rase gas), उत्कृष्ट गैस (Noble gas) कहते हैं |
d – ब्लॉक का प्रचलित नाम
संक्रमण तत्व –
वे तत्व जिनमें उसकी उदासीन या आयनिक अवस्था या आयनिक अवस्था में d कक्षक अपूर्ण भरा हो, संक्रमण तत्व कहलाते हैं |
जिंक (Zn), केडीयम (Cd), मरकरी (Hg) को छोड़कर सभी d ब्लॉक के तत्व संक्रमण तत्व होते हैं |
f – ब्लॉक का प्रचलित नाम
अंत संक्रमण तत्व –
सभी f – ब्लॉक के तत्व अंत संक्रमण तत्व होते हैं |
परमाणु त्रिज्या (Atomic Radius)
Defination of Atomic Radius – किसी परमाणु के नाभिक व संयोजी कोश के मध्य की दूरी को परमाणु त्रिज्या कहते हैं |
परंतु परमाणु त्रिज्या को प्रत्यक्ष रुप से नाभिक में इलेक्ट्रॉन के मध्य की दूरी से ज्ञात नहीं किया जा सकता |
इसे एकल बंध से बंधित दो अधात्विक परमाणु के नाभिको के मध्य की दूरी का आधा करके ज्ञात किया जाता है |
अर्थात
अधात्विक परमाणुओं की परमाणु त्रिज्या एकल बंध से बंधित दोनों परमाणुओं की अंतर नाभिकीय दूरी का आधा होती है |
Example –
क्लोरीन की परमाणु त्रिज्या निम्न प्रकार से ज्ञात की जाती है –
क्लोरीन की परमाणु त्रिज्या = 198 PM
धात्विक त्रिज्या (Metallic Radius)
Defination of Metallic Radius – धात्विक क्रिस्टल में धात्विक बंध से बंधित धातु परमाणुओ के अंतर नाभिकीय दूरी का आधा, धात्विक त्रिज्या कहलाती है |
Example –
धातु की संरचना में दो निकटवर्ती कोपर (Cu) परमाणुओं के लिए अंतर नाभिकीय दूरी 256 PM होती है |तो कॉपर परमाणु की धात्विक त्रिज्या = 256/2 = 128 PM
Note – सामान्यत धात्विक त्रिज्या व सहसंयोजक त्रिज्या के स्थान पर परमाण्विक त्रिज्या का ही उपयोग करते हैं |
आवर्त सारणी में परमाणु त्रिज्या का आवर्त व वर्ग पर प्रभाव –
- आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर बाहृयतम कोश वही रहता है | लेकिन नाभिक में प्रोटॉन की संख्या में वृद्धि होने से प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है | तथा परमाणु त्रिज्या कम हो जाती है |
- वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती है | जिस कारण आंतरिक कोशों के इलेक्ट्रॉन बाहृयतम कोशो के इलेक्ट्रॉनों को नाभिकीय आकर्षण बल से परीरक्षित कर देते हैं | तथा परमाणु त्रिज्या बढ़ जाती है |
आवर्त सारणी में परमाणु त्रिज्या का आवर्त पर प्रभाव –
Period (आवर्त) में बाएं से दाएं जाने पर बाहृयतम कोश वही रहता है | लेकिन नाभिक में प्रोटॉन की संख्या में वृद्धि होने से प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि होती है | जिससे नाभिक का बाहृयतम इलेक्ट्रॉन पर आवेश या आकर्षण बढ़ जाता है | जिसके फलस्वरूप परमाणु के आकार में कमी आ जाती है | अर्थात परमाणु त्रिज्या कम हो जाती है |
आवर्त सारणी में परमाणु त्रिज्या का वर्ग पर प्रभाव –
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर कोशों की संख्या बढ़ती है | जिस कारण आंतरिक कोशों के इलेक्ट्रॉन बाहृयतम कोशो के इलेक्ट्रॉनों को नाभिकीय आकर्षण बल से परीरक्षित कर देते हैं | जिससे बाहृयतम इलेक्ट्रॉन पर नाभिकीय आकर्षण बल कम होता है | इस प्रकार कोशों की संख्या परिरक्षण प्रभाव के परिणाम स्वरूप वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर परमाण्विक त्रिज्या बढ़ जाती है |
NOTE – उत्कृष्ट गैसों के लिए इनकी एकल परमाणु की दिशा में इनकी आबंधित परमाणु त्रिज्या का मान बहुत ज्यादा होता है | इस कारण इनके लिए परमाणु त्रिज्या शब्द का प्रयोग न करके इसके स्थान पर वान्डर वाल्स त्रिज्या का प्रयोग किया जाता है |
आयनिक त्रिज्या –
Defination of Ionic Radius – किसी आयन में संयोजी इलेक्ट्रॉन में नाभिक के मध्य की दूरी को आयनिक त्रिज्या कहते है |
धनायन की त्रिज्या –
जब कोई उदासीन परमाणु एक इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाता है | इस प्रकार के बने धनायन में इलेक्ट्रॉन की संख्या अपने उदासीन परमाणुओं की तुलना में कम हो जाती है |
लेकिन प्रोटोन की संख्या वही रहती है | जिसके फलस्वरूप प्रभावी नाभिकीय आवेश के मान में वृद्धि हो जाती है | इस कारण धनायन की त्रिज्या उदासीन परमाणु की तुलना में छोटी हो जाती है |
अर्थात धनायन का आकार हमेशा उदासीन परमाणु की तुलना में छोटा होता है |
आयन पर धन आवेश की मात्रा बढ़ने पर आकार में क्रमागत रूप से कमी आती जाती है |
जैसे किसी उदासीन परमाणु के आकार का निम्न कर्म होगा –
(i) A > A+ > A+2 > A+3
(ii) Fe > Fe+2 > Fe+3
(iii) Cu > Cu+ > Cu+2
NOTE –
सामान्यत ऐसे परमाणु क्रमांक जिनके संयोजी कोश में एक दो व तीन इलेक्ट्रॉन होते हैं | उनकी प्रवृत्ति इन इलेक्ट्रॉनों को त्याग कर उत्कृष्ट विनाश धारण करने की होती है | इससे आयन बनने की प्रक्रिया में संयोजी कोश हट जाता है | जिससे धनायन त्रिज्या घट जाती है |
ऋणाआयन की त्रिज्या –
जब कोई उदासीन परमाणु कोई एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऋणाआयन बनाता है | तो उसमें इलेक्ट्रॉन की संख्या अपनी उदासीन परमाणु की तुलना में अधिक हो जाती है |
तथा नाभिक में प्रोटॉनो की संख्या वही रहती है | जिससे प्रभावी नाभिकीय आवेश में कमी आने के कारण आकार में वृद्धि हो जाती है |
अर्थात ऋणाआयन का आकार अपने उदासीन परमाणुओं की तुलना में सदैव अधिक होता है |
O < O– < O-2
इलेक्ट्रॉन बंधुता –
Defination of Electron Affinity – किसी विलगित गैसीय परमाणु की संयोजी कोश में एक इलेक्ट्रॉन जोड़ने पर मुक्त ऊर्जा को इलेक्ट्रॉन बंधुता कहते है |
A+ + e- → A- + Energy (इलेक्ट्रॉन बंधुता)
Note – इलेक्ट्रॉन बंधुता को इलेक्ट्रॉन एन्थैल्पी या इलेक्ट्रॉन लब्धि के नाम से भी जाना जाता है |
इलेक्ट्रॉन बंधुता से मुक्त ऊर्जा सदैव ऋणआत्मक होती है |
इस कारण विभिन्न परमाणुओं की इलेक्ट्रॉन बंधुता के मान भी कुछ अपवादो को छोड़कर सदैव ऋणात्मक होते हैं |
अपवाद –
आवर्त सारणी में कुछ उत्कृष्ट गैसों का विन्यास अत्यधिक स्थाई होने के कारण यह बहुत ही कम क्रियाशील होती है | और इलेक्ट्रॉन के प्रति आकर्षण नहीं दिखाते हैं | अर्थात यह इलेक्ट्रॉन आसानी से ग्रहण नहीं करती है | बल्कि इनमें इलेक्ट्रॉन जोड़ने के लिए ऊर्जा देनी पड़ती है | अर्थात उत्कृष्ट गैसों के लिए इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान धनात्मक होता है |
आवर्त सारणी में इलेक्ट्रॉन बंधुता की आवर्तीता –
इलेक्ट्रॉन बंधुता का आवर्त पर प्रभाव –
आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश में वृद्धि होने के कारण जुड़ने वाले इलेक्ट्रॉन के प्रति आकर्षण बढ़ता है | जिससे ऊर्जा की मात्रा बढ़ती जाती है | अर्थात आवर्त में इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान क्रमशः बढ़ता जाता है |
→ इलेक्ट्रॉन बंधुता, प्रभावी नाभिकीय आवेश के समानुपाती होती है –
इलेक्ट्रॉन बंधुता α प्रभावी नाभिकीय आवेश
→ इलेक्ट्रॉन बंधुता, परमाणु आकार के व्युत्क्रमानुपाती होती है –
इलेक्ट्रॉन बंधुता α 1/ परमाणु आकार
इलेक्ट्रॉन बंधुता का वर्ग पर प्रभाव –
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश के मान में कमी आती है | जिससे बाह्यतम इलेक्ट्रॉन के प्रति आकर्षण कम हो जाता है | अर्थात इलेक्ट्रॉन बंधुता के मान घटते जाते हैं |
जैसे हेलोजन के लिए इलेक्ट्रॉन बंधुता के मान –
F (328), Cl (349), Br (325), I (295)
इसमें फ्लोरीन की इलेक्ट्रॉन बंधुता का मान क्लोरीन की तुलना में कम होता है | इसका कारण फ्लोरीन का आवेश घनत्व अधिक होना है |
आवेश घनत्व = आवेश / त्रिज्या
जिसके कारण अधिक आवेश घनत्व या अधिक इलेक्ट्रॉन घनत्व जुड़ने वाले इलेक्ट्रॉन के प्रति प्रतिकर्षण दिखाते हैं |
फलस्वरुप जुड़ने वाले इलेक्ट्रॉन का नाभिक का तुलनात्मक रूप से कम हो जाता है | इस कारण इलेक्ट्रॉन बंधुता मान अपेक्षाकृत कम हो जाता है |
विद्युत ऋणता
Defination of Electricity Indebtedness – किसी परमाणु द्वारा बंधित इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की क्षमता को विद्युत ऋणता कहते हैं |
अथवा
एक योगिक में साझें के एक इलेक्ट्रॉन युग्म को किसी परमाणु द्वारा अपनी और आकर्षित करने की प्रवृत्ति को परमाणु की विद्युत ऋणता कहते हैं |
Example –
माना कि A – B कोई सहसंयोजक योगिक है | यदि A की अपेक्षा B का इलेक्ट्रॉन के प्रति अधिक आकर्षण है | तब साझें के इलेक्ट्रॉन B की ओर खिसक जाएंगे | इस प्रकार ऊपर ऋण आवेश आ जाएगा | इसके फलस्वरूप A पर आंशिक धन आवेश उत्पन्न होगा | इससे स्पष्ट है कि B, A की अपेक्षा अधिक विद्युत ऋणी है |
- A : B (दोनों बराबर)
- A+ : B (विद्युत ऋणी अधिक)
- A– : B (A अधिक विद्युत ऋणी B की तुलना में)
आवर्त सारणी में विद्युत ऋणता की आवर्तिता –
विद्युत ऋणता का आवर्त पर प्रभाव
आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर तत्वों के परमाणुओं के परमाण्विक आकार (त्रिज्या) में वृद्धि होती है | अतः आवर्त में विद्युत ऋणता का मान बढ़ता है |
NOTE –
- इस प्रकार एक आवर्त में 17 वें वर्ग के तत्वों (हैलोजन) की विद्युत ऋणता सबसे अधिक है |
- वर्ग 1 के तत्वों (क्षार धातुओं) की विद्युत ऋणता सबसे कम होती है |
- विद्युत ऋणता, प्रभावी नाभिकीय आवेश के समानुपाती होती है |
विद्युत ऋणता α प्रभावी नाभिकीय आवेश
- विद्युत ऋणता, परमाणु आकार के व्युत्क्रमानुपाती होती है |
विद्युत ऋणता α 1 / परमाणु आकार
NOTE –
- सबसे अधिक विद्युत ऋणीय तत्व – फ्लोरिन (F – 4.0)
- सबसे कम विद्युत ऋणीय तत्व – सिजियम (Cs – 0.7)
विद्युत ऋणता का वर्ग पर प्रभाव
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर प्रभावी नाभिकीय आवेश में कमी होती है | व ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु आकार बढ़ता है | जिससे विद्युत ऋणता वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर घटती है |
- 13 वें वर्ग में विद्युत ऋणता बोरोन से एलुमिनियम तक घटती है | उसके बाद बढ़ना शुरू होती है |
- 14 वें वर्ग में विद्युत ऋणता कार्बन के बाद स्थिर हो जाती है |
नोट –
किसी तत्व के लिए विद्युत ऋणता का मान स्थिर नहीं होता | इसका मान इस बात पर निर्भर होता है, कि वह तत्व अन्य किस तत्व से बंधित है |
संयोजकता या ऑक्सीकारक अवस्था
इलेक्ट्रॉन की विद्युत ऋणता को ध्यान में रखते हुए किसी विशेष योगीक में तत्वों के परमाणु द्वारा अन्य परमाणु से ग्रहण की आवेश की संख्या उस तत्वों की ऑक्सीकरण संख्या कहलाती है |
Example –
सोडियम ऑक्साइड (Na2O) में प्रत्येक सोडियम परमाणु एक इलेक्ट्रॉन ऑक्सीजन को देता है | इस कारण उसकी संयोजकता या ऑक्सीकरण अवस्था +1 होती है | व प्रत्येक ऑक्सीजन परमाणु प्रत्येक सोडियम परमाणु से एक – एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है | अर्थात कुल 2 इलेक्ट्रॉन ग्रहण किये जाते है | इसलिए ऑक्सीजन की ऑक्सीकरण अवस्था +2होती है |
आवर्त सारणी में रासायनिक अभिक्रियाशीलता
- आवर्त सारणी में प्रथम वर्ग के तत्वों के संयोजी कोश में एक इलेक्ट्रॉन होता है | अतः ये आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग कर धनायन बनाते हैं |
- प्रथम वर्ग के तत्वों के लिए आयनन विभव का मान बहुत कम होता है |
- इसी तरह 17 वें वर्ग के तत्वों का स्थाई विन्यास धारण करने के लिए उसकी इलेक्ट्रॉन बंधुता उच्च ऋणात्मक होती है |
- दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं, कि आवर्त सारणी में बांयी ओर (Last group) व दांयी ओर (17वां वर्ग) के तत्वों की क्रियाशीलता सबसे अधिक होती है | व मध्य के तत्वों की क्रियाशीलता तुलनात्मक रूप से कम होती है |
- प्रथम व सतरवे वें वर्ग , दोनों वर्ग के तत्व के ऑक्साइड बनाते है |
- पहले वर्ग के तत्व क्षारीय ऑक्साइड बनाते है |
- 17 वें वर्ग के तत्व अम्लीय ऑक्साइड बनाते हैं |
जैसे –
Na+1 O-2 → क्षारीय ऑक्साइड
Cl2O7 → अम्लीय ऑक्साइड
मध्य के तत्व उभयधर्मी ऑक्साइड या उदासीन ऑक्साइड बनाते हैं |
Al2O3 , As2O3 → उभयधर्मी ऑक्साइड
NO, N2O, CO → उदासीन ऑक्साइड
अम्लीय व क्षारीय प्रकृति की जांच
1. क्षारीय ऑक्साइड जैसे सोडियम ऑक्साइड (Na2O) जल अपघटन पर क्षार बनाता है | जो लाल लिटमस पत्र को नीला कर देता है |
Na2+ O– + H+ OH– → 2NaOH
2. इसी प्रकार अम्लीय ऑक्साइड का जलीय अपघटन करने पर अम्ल बनता है | जो नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है |
Cl2O7 + H+ OH– → 2HClO4
द्वितीय आवर्त में तत्वों के गुणधर्मों में असंगतता
द्वितीय आवर्त लिथियम से फ्लोरीन तक के तत्व अपने ही वर्ग के अन्य तत्वों से भिन्नता प्रदर्शित करते हैं |
भिन्नता का कारण –
- उपयुक्त तत्वों को अपने ही वर्ग के अन्य तत्वों से गुणों में भिन्नता इनके अधिक आवेश घनत्व के कारण होती हैं |
- दूसरे आवर्त के तत्वों में कुल संयोजी कोशों की संख्या चार होती है अतः यह अधिकतम 4 संयोजकता प्रदर्शित कर सकते हैं |
- जैसे – बोरोन, 4 फ्लोरीन परमाणु के बंधन द्वारा bf4 बना सकता है | लेकिन इसी वर्ग के तीसरे आवर्त में एल्युमीनियम की बात करें तो यह एलुमिनियम फ्लोराइड (AlF6-3) बनाता है | अर्थात यह 4 से अधिक परमाणुओं के साथ बंध बना सकता है |
- द्वितीय आवर्त के तत्व जैसे कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन इत्यादि अपने ही समान परमाणु या अन्य परमाणुओ से पाई बंध (π Bond) बनाने की प्रवृत्ति पाई जाती है |
- वर्ग 1 के तत्व अपने ही वर्ग के तत्वों के साथ भिन्नता भी प्रदर्शित करते हैं |
-C≡C- → 1σ , 2 π
O=O → 1σ , 1 π
N≡N → 1σ, 2 π
Here – σ – सिग्मा
π – पाई
Note – पहला अतिव्यापन हमेशा अक्षीय होता है |
परिरक्षण प्रभाव
Defination of Shielding Effect – किसी परमाणु में आंतरिक कोशों के इलेक्ट्रॉन संयोजी इलेक्ट्रॉन व नाभिक के मध्य आ जाने के कारण ये संयोजी कोश के इलेक्ट्रॉनों को नाभिक के आकर्षण से परिरक्षित कर देते हैं | जिसके कारण इलेक्ट्रॉन द्वारा नाभिक में उपस्थित आवेश की तुलना में कम आवेश का आकर्षण अनुभव करते हैं | यह परिरक्षण प्रभाव कहलाता है |
- संयोजी कोश के इलेक्ट्रॉनों का नाभिक के आकर्षण के कारण परमाणु के आकार में वृद्धि होती है |
- परिरक्षण प्रभाव को स्क्रीनिंग प्रभाव भी कहा जाता है |
- स्क्रीनिंग प्रभाव का परमाणु, आंतरिक इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करता है |
वर्ग में परिरक्षण प्रभाव का मान
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर संयोजी इलेक्ट्रॉनों पर परिरक्षण प्रभाव का मान बढ़ता है, जिससे आयनन विभव / आयनन एन्थैल्पी / आयनन ऊर्जा में कमी आती है |
प्रभावी नाभिकीय आवेश (Effective Nuclear Charge)
Defination of Effective Nuclear Charge – आंतरिक कोशों में परिरक्षण प्रभाव के कारण प्रत्येक संयोजी इलेक्ट्रॉन वास्तविक आकर्षण की तुलना में नाभिक के कम आवेश द्वारा आकर्षित रहता है | अतः वह नाभिकीय आवेश जो संयोजी इलेक्ट्रॉनों के परीक्षण प्रभाव के बावजूद भी महसूस करता है | प्रभावी नाभिकीय आवेश कहलाता है |
Zeff = Z – σ
Here –
Z = नाभिकीय आवेश (Nuclear Charge)
σ = परिरक्षण नियतांक (Shielding Constant)
Zeff = प्रभावी नाभिकीय आवेश (Effective Nuclear Charge)
प्रभावी नाभिकीय आवेश व परमाणु के आकार में संबंध
जब प्रभावी नाभिकीय आवेश (Zeff) का मान बढ़ता है | तो परमाणु के आकार में हमेशा ही कमी आती है |
अथार्त
प्रभावी नाभिकीय आवेश , परमाणु आकार के व्युत्क्रमानुपाती होता है |
प्रभावी नाभिकीय आवेश α 1/ परमाणु आकार
Zeff α 1/ परमाणु आकार
आवर्त सारणी में प्रभावी नाभिकीय आवेश का प्रभाव
आवर्त में प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान
period (आवर्त) में बाएं से दाएं जाने पर में इलेक्ट्रॉनों की संख्या बढ़ती है | जिसके कारण इलेक्ट्रॉन नाभिक की ओर अधिक आकर्षित होते हैं | इस कारण प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़ता है |
वर्ग में प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान
वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉनिक कोशों की संख्या बढ़ती है | जिसके कारण इलेक्ट्रॉन का नाभिक की ओर आकर्षण कम हो जाता है | इस कारण प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान घटता है |
अक्रिय गैस तत्व (Inert Gas Element)
Defination of Inert Gas Element – वे तत्व जिनमें बाहृयतम कोश पूर्ण भरा हो, अक्रिय गैस तत्व कहलाते हैं |
- सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – ns2 , np6
- अपवाद – हीलियम (He)
- हीलियम का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – ns2
- वर्ग संख्या – 18 के तत्व
- आवर्त संख्या – 1 से 6
- कुल तत्व – 6 {हीलियम (He), नियॉन (Ne), आर्गन (Ar), क्रिप्टोन (Kr), जिनोन (Xe), रेंडोन(Rn)}
- वर्ग संख्या 18 के तत्वों को शून्य वर्ग के तत्व भी कहा जाता है |
- वर्ग संख्या 18 के तत्वों को Noble Gas भी कहते है |
अक्रिय गैस के गुणधर्म (Properties of Inert Gas)
- अक्रिय गैसें रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन होती हैं |
- शून्य वर्ग की गैसों की सयोंजकता शून्य होती है |
- अक्रिय गैसे जल में अल्प विलेय होती है |
- आर्गन गैस वायुमण्डल में सर्वाधिक मात्रा में पायी जाती है , बाकि गैसे अल्प मात्रा में पायी जाती है |
प्रतिनिधि तत्व (Representative Element)
Defination of Representative Element – वे तत्व जिनमें बाहृयत्तम कोश अपूर्ण तथा आंतरिक कोश पूर्ण भरा होता है | प्रतिनिधि तत्व कहलाते हैं |
NOTE –
प्रतिनिधि तत्वों (Representative Elements) को परसामान्य तत्व (Common Element) भी कहा जाता है |
- प्रतिनिधि या परसामान्य तत्वों के अन्तर्गत सामान्यतः S व P ब्लॉक के तत्व आते है |
- Representative Elements / प्रतिनिधि तत्व – वर्ग संख्या 1 से 2 और 12 से 17 तक के तत्व
- प्रतिनिधि तत्व – आवर्त संख्या 1 से 7 तक
- प्रतिनिधि तत्वों की कुल संख्या – 42
संक्रमण तत्व (Transition Element)
Defination of Transition Element – वे तत्व जिनके परमाणु या आयन के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में d – कक्षक अपूर्ण हो, संक्रमण तत्व कहलाते हैं |
अथवा
d – ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व कहते हैं |
- संक्रमण तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – (n-1)d1-10 ns1-2
- वर्ग संख्या – 3 से 11 तक के तत्व संक्रमण तत्व होते हैं |
- आवर्त संख्या – 4 से 7 तक
- कुल संक्रमण तत्वों की संख्या – 36
- संक्रमण तत्व चार श्रेणियों के रूप में पाये जाते है – 3d श्रेणी, 4d श्रेणी, 5d श्रेणी, 6d श्रेणी
- संक्रमण तत्व , प्रत्येक श्रेणी में 9 तत्व तथा कुल तत्व 36 होते हैं |
NOTE –
जिंक (Zn), सिल्वर (Ag), केडीएम (Cd) संक्रमण तत्व नहीं कहलाते हैं, क्योंकि इनकी परमाण्विक अवस्था में तथा सर्वाधिक स्थायी ऑक्सीकरण अवस्था में बाहृयतम कोश केवल एक अपूर्ण होता है, जबकि d कक्षक पूर्ण भरा होता है |
अंतः संक्रमण तत्व (Inter Transition Element)
Defination of Inter Transition Element – वे तत्व जिनका बाह्यतम कोश अपूर्ण होता है , अंतः संक्रमण तत्व कहलाते है |
अर्थात
F- ब्लॉक के सभी तत्वों को अंतः संक्रमण तत्व कहते हैं |
- अंतः संक्रमण तत्वों का सामान्यतः इलेक्ट्रॉनिक विन्यास – (n-2)f 1-14 (n-1)d1-10 ns1-2
- कुल अंतः संक्रमण तत्वों की संख्या – 26
- 26 तत्वों में 14 लेंथेनोइड व 14 एक्टिनाइड तत्व होते हैं |
- अंतः संक्रमण तत्वों के अंतर्गत दो श्रेणियां होती है – लैंथेनाइड श्रेणी , एक्टिनाइड श्रेणी
Other Topic Important Links
Science More Important Topics you can click here
Hindi More Important Topics you can read here
Rajasthan GK More Important Topics click here