कार्बन के अपरूप | Allotropes of Carbon

कार्बन के अपरूप

इस पोस्ट में विज्ञान के महत्वपूर्ण टॉपिक कार्बन के अपरूप | Allotropes of Carbon के बारे में जानकारी दी गयी है | अपरूप , क्रिस्टलीय अपरूप ,अक्रिस्टलीय अपरूप, हीरा, ग्रेफाइट फुलेरीन आदि कक्षा 10 वी की परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण टॉपिक है | यह टॉपिक कक्षा 10 वी साइंस का chapter – 4कार्बन एंव उसके यौगिक से लिया गया है |

अपरूप (Allotropes)

Defination of Allotropes – ऐसे योगिक जो दो या दो से अधिक रूपों में पाए जाते हैं, जिनके भौतिक व रासायनिक गुणधर्म अलगअलग होते हैं, अपरूप कहलाता है |

अपरूप दो प्रकार के होते हैं

1. क्रिस्टलीय अपरूप (Crystalline Allotropes)

2.  अक्रिस्टलीय अपरूप (Non – Crystalline Allotropes)

क्रिस्टलीय अपरूप

Defination of Crystalline Allotropes – वे अपरूप जिनमें कार्बन परमाणु की निश्चित ज्यामिति पाई जाती है, वह क्रिस्टलीय अपरूप कहलाता है |

उदाहरण – हीरा, ग्रेफाइट, फुलेरीन

अक्रिस्टलीय अपरूप

Defination of Non – Crystalline Allotropes – वे अपरूप जिनमें कार्बन परमाणु की निश्चित ज्यामिति नहीं पाई जाती है, वह अक्रिस्टलीय अपरूप कहलाता है |

उदाहरण – कोक, कोयला, चारकोल

हीरा (Diamond)

  • हीरा पारदर्शी, कठोर व चमकीला होता है |
  • हीरे की संरचना चतुष्फलकीय होती है, क्योंकि हीरे की संरचना में एक कार्बन अन्य चार कारणों के साथ जुड़ा होता है |
  • हीरा विद्युत का सुचालक होता है, क्योंकि हीरे की संरचना में एक कार्बन अन्य चार कार्बनो से जुड़ा होता है, जिससे हीरे की संरचना चतुष्फलकीय हो जाने के कारण इनमें कोई भी मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं पाया जाता है |
  • हीरे का गलनांक 3848 K होता है |
  • हीरे की संरचना में कार्बन कार्बन के मध्य दूरी 1.54A होती है |
  • हीरे की संरचना में प्रबल सहसंयोजक बंध पाये जाते है |
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हीरे की सरंचना
Diagram – हीरे की सरंचना

हीरे का उपयोग (Use of Diamonds) –

  1. हीरे का उपयोग रिंग बनाने में किया जाता है |
  2. हीरे का उपयोग कांच काटने में किया जाता है |
  3. हीरे का उपयोग पत्थर व चट्टाने काटने में किया जाता है |
  4. हीरे का उपयोग आभूषण बनाने में किया जाता है |
  5. हीरे का उपयोग संगमरमर मार्बल के पत्थर काटने में किया जाता है |

ग्रेफाइट (Graphite) –

  • ग्रेफाइट शब्द ग्रेफो शब्द से मिलकर बना होता है, जिसका अर्थ होता है लिखना |
  • ग्रेफाइट चिकना, दूषर काले रंग का होता है |
  • ग्रेफाइट में प्रर्दा सरचना पाई जाती है, जिसके कारण ग्रेफाइट की परतें एक दूसरे पर फिसल सकती है |
  • ग्रेफाइट विद्युत का सुचालक होता है, क्योंकि ग्रेफाइट में एक कार्बन अन्य तीन कारणों से सहसंयोजक बन्ध द्वारा जुड़ा होता है |
  • ग्रेफाइट में कार्बन की चौथी संयोजकता मुक्त अवस्था के रूप में पाई जाती है, जिन्हें मुक्त अवस्था कहते है |
  • ग्रेफाइट में इस मुक्त इलेक्ट्रॉन के कारण विद्युत का चालक होता है |
  • ग्रेफाइट में कार्बन कार्बन के मध्य दूरी 1. 42A होती है |
  • ग्रेफाइट में एक कार्बन अन्य तीन कार्बनो के साथ जुड़कर सततकोणीय वलय सरचना का निर्माण करते हैं |
  • ग्रेफाइट में सततकोणीय वलय एक दूसरे के ऊपर व्यवस्थित होते हैं |
ग्रेफाइट की सरंचना
Diagram – ग्रेफाइट की सरंचना

ग्रेफाइट के उपयोग (Use of Graphite) –

  1. ग्रेफाइट का उपयोग लोहे की वस्तु में पॉलिश करने में किया जाता है |
  2. ग्रेफाइट का उपयोग पेंसिल बनाने में किया जाता है |
  3. ग्रेफाइट का उपयोग नाभिकीय परमाणु भट्टी में मंदक के रूप में किया जाता है |
  4. ग्रेफाइट का उपयोग शुष्क स्नेहक के रूप में किया जाता है |

फुलेरीन (Fullerene) –

  • फुलेरीन की संरचना गोल गुंबद जैसी होती है |
  • अमेरिका के प्रसिद्ध वास्तुकार बकमिंस्टर फुलर के नाम पर इसका नाम फुलेरीन रखा गया |
  • फुलेरीन के कणों में 60 से 70 कार्बन पाये जाते है |
  • C – 60 स्थाई फुलेरीन है |
  • C – 60 की संरचना में 32 फलक पाये जाते है |
  • फुलेरीन में 20 फलक सतकोणीय तथा 12 फलक पंचकोणीय होते है |
  • फुलेरीन की संरचना फुटबॉल के समान होती है, इसलिए इसे बकीबॉल कहते हैं |
  • फुलेरीन विद्युत का कुचालक होता है |
  • फुलरीन में कार्बन कार्बन की मध्य दूरी 1.40 A होती है |
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C - 60 बकमिस्टर फुलेरीन की सरंचना
Diagram – C – 60 बकमिस्टर फुलेरीन की सरंचना

फुलेरीन के उपयोग (Use of Fullerene) –

  1. फुलेरीन उच्च ताप पर अतिचालक होने के कारण तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है |
  2. फुलेरीन का उपयोग आणविक बेरिंग में होता है |

उपरोक्त पोस्ट में कार्बन के अपरूप | Allotropes of Carbon के बारे में विस्तृत जानकारी दी हुई है | इसके अतिरिक्त अगर आप विज्ञान के और भी अध्यायों का अध्यन करना चाहे तो आप हमारी वेबसाइट पर कर सकते है | कुछ महत्वपूर्ण लिंक निचे दिए है |

Important FAQs

Question 1. क्रिस्टलीय अपरूप किसे कहते है ?

Answer – वे अपरूप जिनमें कार्बन परमाणु की निश्चित ज्यामिति पाई जाती है, वह क्रिस्टलीय अपरूप कहलाता है |

Question 2. अक्रिस्टलीय अपरूप किसे कहते है ?

Answer – वे अपरूप जिनमें कार्बन परमाणु की निश्चित ज्यामिति नहीं पाई जाती है, वह अक्रिस्टलीय अपरूप कहलाता है |

Question 3. क्रिस्टलीय अपरूप के उदाहरण दीजिए ?

Answer – हीरा, ग्रेफाइट, फुलेरीन

Question 4. अक्रिस्टलीय अपरूप के उदाहरण दीजिए ?

Answer – कोक, कोयला, चारकोल

Question 5. हीरे का गलनांक 3848 K कितना होता है ?

Answer – 3848 K

Question 6. ग्रेफाइट में कार्बन कार्बन के मध्य दूरी कितनी होती है ?

Answer – मध्य दूरी 1. 42A

Question 7. हीरे में कार्बन कार्बन के मध्य दूरी कितनी होती है ?

Answer – मध्य दूरी 1.54A

Question 8. फुलेरीन में कार्बन कार्बन के मध्य दूरी कितनी होती है ?

Answer – मध्य दूरी 1.40A

Question 9. बकीबॉल किसे कहते है ?

Answer – फुलेरीन की संरचना फुटबॉल के समान होती है, इसलिए इसे बकीबॉल कहते हैं |

Question 10. फुलेरीन की संरचना कैसी होती है ?

Answer – गोल गुंबद जैसी

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