Development of Indian Atomic Energy Program
भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का विकास:-
1948: डाॅ. भाभा की अध्यक्षता में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना।
1956: एक मेगावाट क्षमता वोल ‘अप्सरा’ रिएक्टर की ट्राम्बे में स्थापना।
1966: जनवरी में एक हवाई दुर्घटना में डाॅ. होमी भाभा का निधन। जनवरी 1967 में परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान का नामकरण -भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान (BARC) किया।
1969: भारत में परमाणु बिजली उत्पादन आरम्भ। तारापुर बिजलीघर सक्रिय।
1971: हैदराबाद में परमाणु ईंधन सम्मिश्र की स्थापना। कालपक्कम (चेन्नई) में रिएक्टर अनुसंधान केन्द्र की स्थापना। अब यह संस्थान ‘इन्दिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्द्र’ के नाम से विख्यात है।
1974: 18 मई को जोधपुर और जैसलमेर के बीच पोखरण क्षेत्र में भारत का प्रथम भूमिगत परमाणु परीक्षण सम्पन्न।
1984: 27 जनवरी से चेन्नई के निकट कलपक्कम स्थित मद्रास परमाणु बिजलीघर में देश के पहले 235 मेगावाट क्षमता वाले रिएक्टर ने उत्पादन आरम्भ किया।
1996: विश्व के सर्वप्रथम न्यूट्राॅन सोर्स रिएक्टर ‘कामिनी’ की इन्दिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केन्द्र की स्थापना।
1998: 11 मई को अपरान्ह 3ः45 पर तीन परमाणु परीक्षण सम्पन्न 15 किलो टन क्षमता की विखण्डन प्रक्रिया 02 से 0.5 किलो टन (सब किलो टन) क्षमता की लो यील्ड डिवाइस और 43 किलो टन क्षमता की ताप नाभिकीय अभिक्रिया परीक्षण सम्पन्न। 13 मई को दो और कम उत्पादकता वाले परीक्षण सम्पन्न।
2008: 6 सितम्बर को 34 वर्ष बाद भारत को एनएसजी से स्वीकृति प्राप्त हुई। इससे वह अपने एटमी रिएक्टरों के लिए न केवल परमाणु ईंधन प्राप्त कर सकता है वरन् बाहरी देश उसे ईंधन, उपकरण और तकनीक उपलब्ध करने के अलावा भारत में संयंत्र भी लगा सकते हैं।
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