हृदय की संरचना एवं कार्यप्रणाली | Heart Structure And Function

Heart Structure And Function

नमस्कार दोस्तों ! आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए लेकर आये है विज्ञान का महत्वपूर्ण टॉपिक हृदय की संरचना एवं कार्यप्रणाली | Heart Structure And Function.

Heart Structure And Function (हृदय की संरचना एवं कार्यप्रणाली) के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गयी है | बांया आलिंद (Left Atrium), बांया निलय (Left Ventricles), दांया आलिंद (Right Atrium), दांया निलय (Left Ventricles), हृदय की संरचना (Structure of Heart) व हृदय की कार्यप्रणाली (Functioning of the Heart) आदि कक्षा 10 वी की परीक्षा में आने वाले महत्वपूर्ण टॉपिक है | यह टॉपिक कक्षा 10 वी साइंस की Bookका Chapter Number 6 “जैव प्रक्रमसे लिया गया है |

बांया आलिंद (Left Atrium)

मानव हृदय के बायीं तरफ के ऊपरी भाग को बांया आलिंद कहते है |

बांया निलय (Left Ventricles)

मानव हृदय के बायीं तरफ के निचले भाग को बांया निलय कहते है |

दांया आलिंद (Right Atrium)

मानव हृदय के दायीं तरफ के ऊपरी भाग को दाँया आलिंद कहते है |

दांया निलय (Left Ventricles)

मानव हृदय के दायीं तरफ के निचले भाग को दाँया निलय कहते है |

नोट मानव हृदय एक मिनट में 72 बार धड़कता है |

हृदय की संरचना (Structure of Heart)

stracture of heart
structure of heart

हृदय की कार्यप्रणाली (Functioning of the Heart)

  • हृदय एक पेशीय अंग है, जो हमारी मुट्ठी के आकार का होता है |
  • रुधिर को ऑक्सीजन व कार्बन डाइऑक्साइड दोनों का ही वहन करना होता है |
  • अर्थात ऑक्सीजन युक्त रुधिर को कार्बनडाइऑक्साइड युक्त रुधिर से मिलने को रोकने के लिए हृदय कई कोष्ठों में बंटा होता है |
  • कार्बन डाइऑक्साइड युक्त रुधिर को कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ने के लिए फुफ्फुस में जाना होता है, तथा उसे वापस ऑक्सीजनित रुधिर को हृदय में लाना होता है |
  • यह ऑक्सीजन युक्त रुधिर द्वारा शरीर के शेष हिस्सों में पंप किया जाता है |
  • ऑक्सीजन युक्त रुधिर फुफ्फुस से हृदय में बाई ओर स्थित कोष्ठ बाया अलिंद में आता है |
  • इस रुधिर को एकत्रित करते समय बांया आलिंद स्थिर रहता है |
  • जब अगला कोष्ठ बांया निलय फैलता है, तब यह संकुचित होता है | जिससे रुधिर इसमें स्थानांतरित होता है |
  • अपनी बारी पर जब पेशीय बांया निलय संकुचित होता है, तब रुधिर शरीर में पंपित हो जाता है, तथा ऊपरवाला दाया कोष्ठ, दांया आलिंद जब फैलता है, तो शरीर से विऑक्सीजनित रुधिर इसमें आ जाता है |
  • जैसे ही दांया आलिंद संकुचित होता है, नीचे वाला कोष्ठ, दांया निलय फैल जाता है |
  • यह रुधिर को दाएं निलय में स्थानांतरित कर देता है, जो रुधिर को ऑक्सीजनीकरण हेतु अपनी बारी पर उसमें पंप कर देता है |
  • आलिंद की अपेक्षा निलय की पेशीय भित्ति मोटी होती है क्योंकि निलय को पूरे शरीर में रुधिर भेजना होता है |
  • जब आलिंद या निलय संकुचित होते हैं, तो वाल्व उल्टी दिशा में रुधिर प्रवाह को रोकना सुनिश्चित करते हैं |
See also  प्रभावी नाभिकीय आवेश | Effective Nuclear Charge

FAQs

Question 1.आलिंद की अपेक्षा निलय की पेशीय भित्ति मोटी क्यों होती है ?

Answer – क्योंकि निलय को पूरे शरीर में रुधिर भेजना होता है | इस कारण आलिंद की अपेक्षा निलय की पेशीय भित्ति मोटी होती है |

Question 2. शुद्व रुधिर ह्रदय के किस भाग में होता है ?

Answer – बाएँ भाग में

Question 3. निलय किसे कहते है ? परिभाषा

Answer – ह्रदय के निचले कोष्ठों को निलय कहते है बायीं तरफ के कोष्ठ को बायाँ निलय व दायीं तरफ के कोष्ठ को दायाँ निलय कहते है |

Question 4. अशुद्व रुधिर ह्रदय के किस भाग में होता है ?

Answer – दाएँ भाग में

Question 5. आलिन्द किसे कहते है ? परिभाषा

Answer – ह्रदय के ऊपरी कोष्ठों को आलिन्द कहते है बायीं तरफ के कोष्ठ को बायाँ आलिन्द व दायीं तरफ के कोष्ठ को दायाँ आलिन्द कहते है |

उपरोक्त पोस्ट में हृदय की संरचना एवं कार्यप्रणाली | Heart Structure And Function के बारे में विस्तृत जानकारी दी हुई है | इसके अतिरिक्त अगर आप विज्ञान के और भी अध्यायों का अध्यन करना चाहे तो आप हमारी वेबसाइट पर कर सकते है | कुछ महत्वपूर्ण लिंक निचे दिए है |

Other Topic Important Links

Science More Important Topics you can click here

Hindi More Important Topics you can read here

Rajasthan GK More Important Topics click here

Psychology More Important Topics you can read here

Follow us on Facebook

 

Leave a Comment

You cannot copy content of this page

Scroll to Top